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देवों के देव महादेव के प्रिय मास सावन का प्रारंभ 22 जुलाई दिन सोमवार से हो रहा है। सोमवार के दिन से प्रारंभ होकर हो रहा है, इसलिए इस वर्ष का सावन मास विशेष है।
जानें, कितने तरह की होती है कांवड़
जानें, भगवान शिव को सावन या श्रावण मास क्यों प्रिय है? दूसरा यह है कि श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक क्यों करते हैं?
धरती पर निवास करते हैं शिव-शक्ति
पंडित के अनुसार शिव-पुराण में लिखा गया है कि श्रावण मास में भगवान शिव शक्ति अर्थात् देवी पार्वती के साथ भू-लोक में निवास करते हैं। अतः शिव के साथ भगवती की भी पूजा करनी चाहिए। श्रावण मास में भगवान शिव की जलहरि या अर्घे में भगवती पार्वती का निवास होता है।
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प्रसन्न हुए थे महादेव जलाभिषेक से
पंडित के अनुसार भगवान भोलेनाथ जब पहली बार ससुराल जाने के लिए धरती पर अवतरित हुए तो वह सावन मास था। ससुराल में उनका जलाभिषेक से स्वागत किया गया। इससे वह बेहद प्रसन्न हुए। फिर ऐसी मान्यता बन गई कि भगवान शिव हर वर्ष श्रावण मास में अपने ससुरात जाते हैं, इसलिए श्रावण मास में उनका जलाभिषेक करके उनको प्रसन्न किया जा सकता है और आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।
शिव ने किया था विषपान
सावन मास की पौराणिक महत्ता से जुड़ी एक और घटना है। समुद्र मंथन सावन मास में हुआ था। जब मंथन से विष निकला तो पूरे संसार की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया। विष से उनका कंठ नीला पड़ गया, जिससे वे नीलकंठ कहलाए। विष का प्रभाव महादेव पर न हो या कम हो, इसलिए समस्त देवताओं ने भगवान शिव को जल अर्पित किया। इससे भगवान शिव को काफी राहत मिली और वे प्रसन्न हुए।
जलाभिषेक करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है
इस घटना के बाद से ही हर वर्ष सावन मास में भगवान शिव को जल अर्पित करने या उनका जलाभिषेक करने की परंपरा बन गई। ऐसी मान्यता है कि सावन में भगवान शिव का जलाभिषेक करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और जिस तरह उन पर छाए संकट दूर हो गए, वैसे ही उनके भक्तों के भी संकट दूर हो जाएंगे।
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