विष्णु मूर्ति के ये चिह्न किस गुण के प्रतीक हैं और हमें क्या शिक्षा देते हैं
जो धर्म वेदों के अनुरूप हो, वह वैदिक धर्म है। इसे सनातन धर्म भी कहते हैं। सनातन का अर्थ है शाश्वत, अर्थात हमेशा बने रहने वाला। जिसका न आदि है और न अंत है। यह सृष्टि के आरंभ से ही है। सनातन धर्म में जीव की अपनी आस्था केंद्रित करने व भावनात्मक रूप से ईश्वरीय सकारात्मक ऊर्जा से जुड़ने के लिए मूर्ति पूजा का महत्व दर्शाया गया है।
विष्णु चतुर्भुज हैं। उनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें वे शंख, सुदर्शन चक्र, गदा और पद्म धारण किए हुए हैं।
क्या हमने कभी चिंतन किया कि विष्णु मूर्ति के ये चिह्न किस गुण के प्रतीक हैं और हमें क्या शिक्षा देते हैं?
ध्वनि का प्रतीक है शंख
भगवान विष्णु द्वारा धारण किया गया शंख नाद (ध्वनि) का प्रतीक है। अध्यात्म में शंख ध्वनि ओम ध्वनि के समान ही मानी गई है। यह नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करके सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। यह ध्वनि शिक्षा देती है कि ऐसा ही नाद हमारी देह में स्थित है। वह है आत्म नाद, जिसे आत्मा की आवाज कहते हैं। जो हर अच्छे-बुरे कर्म से पहले हमारे भीतर गूंजायमान होता है।
शंख बजाने के वैज्ञानिक लाभ
यदि हम भीतर के इस नाद को सुनकर कर्म करें, तो जीवन बहुत सहज और सरल हो जाए। शंख जीव को आत्मा से जुड़ने व अंतर्मुखी होने की शिक्षा का प्रतीक है। शंख बजाने के वैज्ञानिक लाभ भी हैं। शंख बजाने वाले मनुष्य के फेफड़े सुचारू रूप से कार्य करते हैं। स्मरण, श्रवण शक्ति और मुख का तेज बढ़ता है।
सुदर्शन चक्र
सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु का अमोघ अस्त्र है। यह दूरदर्शिता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। सर्वहित शुभ मार्ग पर चलते हुए दृढ़ संकल्पित जीव अपने लक्ष्य को भेदने में सदा विजयी होता है। चक्र शिक्षा देता है कि जीव को दूरदर्शी व दृढ़ संकल्प वाला होना चाहिए।
शिक्षा देता है पद्म
पद्म (कमल पुष्प) सत्यता, एकाग्रता और अनासक्ति का प्रतीक है। जिस प्रकार कमल पुष्प कीचड़ में रहकर भी स्वयं को निर्लेप रखता है, ठीक वैसे ही जीव को संसार रूपी माया रूप कीचड़ में रहते हुए स्वयं को निर्लेप रखना चाहिए अर्थात संसार में रहें, लेकिन संसार को अपने भीतर न आने दें। कमल मोह से मुक्त होने व ईश्वरीय चेतना से जुड़ने की शिक्षा देता है। कीचड़ कमल के अस्तित्व की मात्र जरूरत है, जिस तरह संसारिक पदार्थ मनुष्य की जरूरत मात्र हैं।
गदा
गदा ईश्वर की अनंत शक्ति, बल का प्रतीक है। कर्मों के अनुसार ईश्वर जीव को दंड प्रदान करते हैं। यह ईश्वरीय न्याय प्रणाली को दर्शाता है।