#Lohri2019 : लोहड़ी होगी और भी खास, Guru Gobind Singh Jayanti भी…
#Lohri2019 : लोहड़ी इस बार बहुत खास होने वाली है. इस दिन गुरु गोविंद सिंह की जयंती भी है. सिखों के 10वें गुरु की ये 352वीं जयंती होगी. इसी वजह से पंजाब और उत्तर भारत के कई हिस्सों में दुल्ला भट्टी की कहानी के साथ-साथ गुरुद्वारों में कीर्तन और सेवाएं भी चलेंगी.
शुभ कार्यों की एक बार फिर शुरुआत हो जाएगी
दिन में लंगर आयोजित किया जाएगा तो रात में ढोल-नगाड़ों पर भांगड़ा और गिद्दा करते हुए रेवड़ी और मूंगफली से लोहड़ी मनाई जाएगी. वहीं, लोहड़ी के बाद उत्तरी भारत के कुछ राज्यों में मकर संक्रांति और पोंगल की धूम रहेगी. मकर संक्रांति से ही प्रयागराज में कुंभ मेले का श्री गणेश हो जाएगा. इसी दिन करोड़ो भक्त त्रिवेणी संगम में पहला स्नान लेंगे. बच्चे और बड़े पतंग उड़ाएंगे, बोटिंग की प्रतियोगिता होगी, तिल के लड्डू और खिचड़ी का आंनद लिया जाएगा. सबसे खास, मकर संक्रांति के दिन से ही शादी-ब्याह और पूजा-पाठ जैसे शुभ कार्यों की एक बार फिर शुरुआत हो जाएगी. क्योंकि इस दिन से खरमास की समाप्ति होगी और सूर्य दक्षिणायण से उत्तरायण में प्रवेश करेगा.
क्यों मनाई जाती है लोहड़ी
लोहड़ी फसल की बुनाई और कटाई से जुड़ा त्योहार है. इस दिन किसान अपनी नई फसल को अग्नि देवता को समर्पित करते हैं. तो कहीं इस पर्व को सती के अग्नि में खुद भस्म कर देने से जोड़ा जाता है. इसके अलावा कई हिस्सों में माना जाता है यह पर्व पूस की आखिरी रात और माघ की पहली सुबह की कड़क ठंड को कम करने के लिए मनाया जाता है.
कैसे मनाते हैं लोहड़ी
- छोटे बच्चे लोहड़ी के दिन घर-घर दुल्ला भट्टी का गाना गाते हुए लोहड़ी मांगने जाते हैं.
- इसमें लोग बच्चों को पैसे, मूंगफली, रेवड़ी, पॉपकॉर्न या फिर खाने के और भी सामान देते हैं.
- शाम को इसी लोहड़ी को घरों या चौराहों पर आग जला कर फेंका और खाया जाता है.
- सभी आग के गोल-गोल चक्कर लगाते हुए सुंदरिए-मुंदरिए हो, तेरा कोन विचारा हो, दुल्ला भट्टी वाला हो, ओ आ गई लोहड़ी वे, बना लो जोड़ी वे……जैसे पारंपरिक गीत गाते हैं.
- इसके बाद ढोल और नगाड़ों पर पूरा परिवार नांचगा और गाता है.
कहां से आया लोहड़ी शब्द
मान्यता है कि लोहड़ी शब्द ‘लोई’ (संत कबीर की पत्नी) से उत्पन्न हुआ था, लेकिन कई लोग इसे तिलोड़ी से उत्पन्न हुआ मानते हैं, जो बाद में लोहड़ी हो गया. वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि यह शब्द ‘लोह’ से उत्पन्न हुआ था, जो चपाती बनाने के लिए प्रयुक्त एक उपकरण है.
कौन था दुल्ला भट्टी
- मुगल काल में अकबर के दौरान दुल्ला भट्टी पंजाब में रहा करता था.
- कहा जाता है कि दुल्ला भट्टी ने पंजाब की लड़कियों की रक्षा की थी. क्योंकि उस समय अमीर सौदागरों को सदंल बार की जगह लड़कियों को बेचा जा रहा था.
- एक दिन दुल्ला भट्टी ने इन्हीं सौदागरों से लड़कियों को छुड़वा कर उनकी शादी हिन्दू लड़कों से करवाई.
- इसी तरह दुल्ला भट्टी को नायक की उपाधि से सम्मानित किया गया और हर लोहड़ी को उसी की ये कहानी सुनाई जाती है.
सुंदर मुंदरिये ! ………………हो तेरा कौन बेचारा, ……………..हो दुल्ला भट्टी वाला, ……………हो दुल्ले घी व्याही, ………………हो सेर शक्कर आई, ……………..हो कुड़ी दे बाझे पाई, ……………..हो कुड़ी दा लाल पटारा, ……………हो