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भगवान शिव को कई नामों से जाना जाता है, जैसे- महादेव, भोलेनाथ, शंकर, आदिदेव, आशुतोष और त्रिनेत्रधारी आदि। महादेव को त्रिनेत्रधारी इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि उनके 3 आंखें हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि महादेव किस प्रकार त्रिनेत्रधारी बनें।
इस तरह बनें महादेव त्रिनेत्रधारी
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ऐसा समय आया कि जब भगवान शिव हिमालय पर्वत पर सभा कर रहे थे। सभा के दौरान मां पार्वती ने महादेव के दोनों आंखों पर हाथ रख दिया, जिसकी वजह से सृष्टि पर अंधेरा छा गया और चारों तरफ हाहाकार मच गया। इस स्थिति को भगवान शिव से देखा नहीं गया।
ऐसे में उनके ललाट पर ज्योतिपुंज प्रकट हुआ। जो महादेव का तीसरा नेत्र बना, जिससे सृष्टि पर रोशनी हुई। इसके बाद मां पार्वती ने महादेव से तीसरी आंख के बारे में पूछा, तो शिव जी ने कहा कि उनके नेत्र जगत के पालनहार है। यदि वह तीसरा नेत्र प्रकट नहीं करते, तो सृष्टि का विनाश होना तय था।
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भगवान शिव की तीसरी आंख को बेहद शक्तिशाली माना जाता है। प्रभु इस आंख के द्वारा भूत, भविष्य और वर्तमान को देख सकते हैं। इसी वजह से महादेव को तीसरी आंख को बेहद शक्तिशाली माना गया है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। JAIHINDTIMES इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है।