Maa Saraswati Puja : सरस्वती पूजा (Maa Saraswati) सनातन धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है। देवी सरस्वती को कला, रचनात्मकता, ज्ञान और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। वे शुद्धता, अनुग्रह और वाक्पटुता का प्रतीक हैं। ऐसी मान्यता है कि उनकी पूजा करने से बुद्धि और ज्ञान मिलता है। मां सरस्वती को कई नामों से भी जाना जाता है, जिनमें शारदा, ब्रह्माचारिणी, जगन्माता भी शामिल हैं। Maa Saraswati Puja
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वेदमाता की पूजा लोग ज्यादातर बसंत पंचमी के दिन करते हैं, लेकिन देवी की पूजा अगर गुरुवार को की जाए, तो उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन का अंधकार दूर होता है और प्रकाश का संचार होता है।
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इस विधि से करें मां सरस्वती की पूजा
सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
इसके बाद पीले वस्त्र धारण करें।
जिन्हें व्रत करना है, वे लोग सुबह ही व्रत का संकल्प लें।
देवी को गंगाजल से स्नान करवाएं।
उन्हें हल्दी, कुमकुम का तिलक लगाएं।
देसी घी का दीपक जलाएं।
पीले फूलों की माला अर्पित करें।
पीली मिठाई और अन्य घर पर बने व्यंजन का भोग लगाएं।
किताबें, वाद्य यंत्र और अन्य चीजें देवी के सामने रखें।
मां सरस्वती की चालीसा और उनके वैदिक मंत्रों का जाप करें।
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पूजा का समापन आरती से करें।
अंत में गलती के लिए क्षमायाचना करें।
पूजा के बाद घर के अन्य सदस्यों में प्रसाद बांटे।
तामसिक चीजों से दूर रहें।
मां सरस्वती की पूजा का मंत्र
पद्माक्षी ॐ पद्मा क्ष्रैय नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धि-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी, विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा।।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। JAIHINDTIMES यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है।