Maha Ashtami : नवरात्र की अष्टमी तिथि मां महागौरी की पूजा के लिए समर्पित है। इसे महाष्टमी (Maha Ashtami) या दुर्गा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाओं के द्वारा मां दुर्गा को खोइछा भरने की परंपरा है। ऐसा करने से साधक को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। Shardiya Navratri 2024
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मां महागौरी के लिए समर्पित है अष्टमी तिथि
मां दुर्गा की आराधना के लिए समर्पित नौ रातों के समूह को नवरात्र कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अष्टमी तिथि पर ही अुसरों का संहार करने के लिए देवी दुर्गा प्रगट हुई थीं। यही कारण है कि नवरात्र की अष्टमी तिथि एक विशेष महत्व रखती है। नवरात्र की अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी के स्वरूप की पूजा-अर्चना का विधान है।
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खोइछा भरने का महत्व
महाष्टमी (Maha Ashtami) के दिन महिलाएं विधि-विधान पूर्वक मां दुर्गा को खोइछा भरती हैं। ऐसी मान्यता है कि मां का खोईचा भरने से सुख समृद्धि का घर में वास होता है। दरअसल बिहार, झारखंड और यूपी आदि राज्यों में बेटी की विदाई के दौरान खोइछा भरने की रस्म की जाती है। जिसमें शादीशुदा बेटियां को मायके से ससुराल जाते समय यानी उनकी विदाई के उनकी मां या भाभी के द्वारा कुछ सामान दिया जाता है जैसे – धान या चावल, हल्दी, सिक्का, फूल आदि दिया जाता है जिसे खोइछा कहते हैं।
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विधि
मनोकामनाओं की पूर्ति होने पर महिलाओं द्वारा खोईचा भरा जाता है, जिसमें पान, सुपारी, मिठाई, चावल, हल्दी, अक्षत आदि शामिल होते हैं। इस दिन माता रानी का सोलह श्रृंगार कर महिलाएं मां का खोइछा भरती हैं। इसके बाद मां दुर्गा की विधिवत रूप से विदाई की जाती है। इस दौरान महिलाएं एक चुनरी में श्रृंगार का सामान बांध कर माता को अर्पित करती हैं। Shardiya Navratri
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