Maha Lakshmi Vrat: भाद्रपद की शुक्ल अष्टमी के दिन से श्री महालक्ष्मी व्रत शुरू होता है। यह सोलह दिनों तक चलता है और इस व्रत में मां लक्ष्मी का विधि-विधान से पूजन किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महालक्ष्मी व्रत को रखने से मां लक्ष्मी की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। (Maha Lakshmi Vrat)
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सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति (Maha Lakshmi Vrat)
इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है। 16वें दिन महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन किया जाता है। इस व्रत को काफी शुभ माना जाता है। कहते हैं कि विधि-विधान से पूजन करने से सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त-(Maha Lakshmi Vrat)
महालक्ष्मी व्रत शनिवार, सितम्बर 3, 2022 को
चन्द्रोदय समय – 12:35 पी एम
महालक्ष्मी व्रत प्रारम्भ शनिवार, सितम्बर 3, 2022 को
महालक्ष्मी व्रत पूर्ण शनिवार, सितम्बर 17, 2022 को
सम्पूर्ण महालक्ष्मी व्रत के दिन – 15
अष्टमी तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 03, 2022 को 12:28 पी एम बजे
अष्टमी तिथि समाप्त – सितम्बर 04, 2022 को 10:39 ए एम बजे
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व्रत कथा-(Maha Lakshmi Vrat)
एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। वह हर दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु का अराधना करता था। एक दिन उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिए और ब्राह्मण से एक वरदान मांगने के लिए कहा। तब ब्राह्मण ने उसके घर मां लक्ष्मी का निवास होने की इच्छा जाहिर की। तब भगवान विष्णु ने ब्राह्मण को लक्ष्मी प्राप्ति का मार्ग बताया। भगवान विष्णु ने कहा कि मंदिर के सामने एक स्त्री आती है और वह यहां आकर उपले थापती है। तुम उसे अपने घर आने का आमंत्रण देना वह मां लक्ष्मी हैं।
भगवान विष्णु ने ब्राह्मण से कहा, जब मां लक्ष्मी स्वयं तुम्हारे घर पधारेंगी तो घर धन-धान्य से भर जाएगा। यह कहकर भगवान विष्णु अंतर्ध्यान हो गए। अगले दिन ब्राह्मण सुबह-सुबह ही मंदिर के पास बैठ गया। लक्ष्मी मां उपले थापने के लिए आईं तो ब्राह्मण ने उनसे घर आने का निवेदन किया। ब्राह्मण की बात सुनकर माता लक्ष्मी समझ गईं कि यह विष्णुजी के कहने पर ही हुआ है।
लक्ष्मी जी ने ब्राह्मण से कहा कि मैं तुम्हारे साथ चलूंगी लेकिन तुम्हें पहले महालक्ष्मी व्रत करना होगा। 16 दिन तक व्रत करने और 16 वें दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से तुम्हारी मनोकामना पूरी हो जाएगी। ब्राह्मण ने मां लक्ष्मी के कहे अनुसार व्रथ किया और मां लक्ष्मी को उत्तर दिशा की ओर मुख करके पुकारा। इसके बाद मां लक्ष्मी ने अपना वचन पूरा किया। माना जाता है कि तभी से महालक्ष्मी व्रत की परंपरा शुरू हुई थी।
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