Mahabharat Katha: महाभारत काल में ऐसी कई घटनाएं घटी हैं, जो व्यक्ति को कुछ-न-कुछ शिक्षा भी देती हैं। आज हम आपको पांडवों में से एक धनुर्धर अर्जुन से जुड़ी एक कथा बताने जा रहे हैं, जो काफी रोचक है। Mahabharat Katha
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क्यों मिला श्राप
महाभारत की कथा के अनुसार, एक बार अर्जुन स्वर्गलोक में देवराज इंद्र से अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा ले रहे थे। इस दौरान उन्होंने संगीत और नृत्य की भी शिक्षा ली। तब स्वर्गलोक की सबसे सुंदर अप्सरा उर्वशी उसपर मोहित हो गई। उर्वशी ने अर्जुन से प्रेम निवेदन किया, लेकिन अर्जुन ने उन्हें माता कह दिया।
इससे उर्वशी बहुत ही क्रोधित हो गई और उसने अर्जुन को यह श्राप दिया कि तुम एक साल तक किन्नर के रूप में धरती पर रहोगे। जब इंद्र देव ने उर्वशी को यह बात समझाई कि इंद्रदेव के पुत्र होने के नाते अर्जुन ने तुम्हें माता कहा है, तब जाकर उर्वशी का गुस्सा शांत हुआ। तब उर्वशी ने अर्जुन से कहा कि तुम इस श्राप का उपयोग अपनी जरूरत के हिसाब से कर सकोगे।
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किस तरह आया काम (How did the work come about?)
उर्वशी द्वारा अर्जुन को दिए गए श्राप ने आगे चलकर उसके लिए आशीर्वाद का काम किया। उर्वशी के द्वारा दिए गए श्राप से अर्जुन अज्ञातवास के दौरान अपनी असली पहचान छुपाने में कामयाब रहा और उसने एक किन्नर का रूप धारण किया। इस रूप में उसे बृहन्नला नाम से जाना गया। अज्ञातवास के दौरान बृहन्नला बनकर अर्जुन ने विराट नगर के राजा विराट की पुत्री उत्तरा को नृत्य भी सिखाया। इस प्रकार अर्जुन को मिला श्राप अज्ञातवास में उसके लिए वरदान साबित हुआ।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। JAIHINDTIMES यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं।