Mahabharata Story: महर्षि वेदव्यास के ग्रंथ महाभारत को काफी प्रसिद्धि मिली। इसमें कौरवों और पांडवों के बीच हुए युद्ध का वर्णन मिलता है। Mahabharata Story
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आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे कौरव की, जिससे पांडव लगाव रखते थे। वह कौरव कोई और नहीं बल्कि विकर्ण (Pandavas attachment to Vikarna) था। साथ ही वह अकेला ऐसा कौरव था, जिसकी मृत्यु पर भीम को अत्यंत दुख हुआ था। चलिए जानते हैं इस बारे में।
इसलिए अगल था विर्कण
दुराचारी दुर्योधन और दुस्सासन का भाई होने के बाद भी विकर्ण (Vikarna’s role in Mahabharata) काफी न्यायप्रिय और विवेकशील व्यक्ति था। जब भरी सभा में भीष्म पितामह और आचार्य द्रौणाचार्य भी द्रौपदी चीरहरण का विरोध न कर सके, उस स्थिति में विकर्ण एक अकेला ऐसा कौरव था, जिसने द्रौपदी के चीरहरण का पुरजोर विरोध किया। Mahabharata Story
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इसी के साथ उसने दुर्योधन के कई गलत निर्णयों का भी विरोध किया था और उसे परिणामों के लिए चेताया भी था। विकर्ण एक महारथी था, जो युद्ध में अकेले लाखों सैनिकों पर भारी पड़ता था।
विकर्ण और भीम का हुआ आमना-सामना
विकर्ण जानता था कि कौरव अधर्म का साथ दे रहे हैं, लेकिन भाई होने के नाते उन्हें कौरवों की तरफ से युद्ध लड़ना पड़ा। जब युद्ध भूमि में विकर्ण (Pandavas attachment to Vikarna) और भीमसेन का आमना-सामना हुआ तो, भीम, विकर्ण पर भारी पड़े।
भीमसेन की जीत हुई और विकर्ण को अपने प्राणों से हाथ धोने पड़े, हालांकि भीम विकर्ण का वध नहीं करना चाहते थे। इस दौरान भीम को पहली बार किसी कौरव को मारने में इतना दुख और अफसोस हुआ था। अन्य पांडव भी विकर्ण की मौत पर बहुत दुखी हुए और विलाप करने लगे थे।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। JAIHINDTIMES इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है।