Mahakumbh 2025: महाकुंभ (Mahakumbh) का आयोजन उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के प्रयागराज (Prayagraj) में बहुत ही भव्यता के साथ किया गया है। इस बार यह 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 तक लगेगा। यह प्रत्येक12 साल में लगता है। Mahakumbh 2025
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वहीं, इस मेले (Mahakumbh Tradition) में अघोरी और नागा साधु पर हर किसी की नजर बनी हुई है, क्योंकि इनकी जीवन शैली को हर कोई जानना चाहता है, तो आइए इनके जीवन की कुछ प्रमुख बातों को यहां पर जानते हैं।
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अघोरी और नागा साधु में अंतर (Difference between Aghori and Naga Sadhu)
अघोरी संतों के गुरु भगवान दत्तात्रेय हैं, जो शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी का स्वरूप माने जाते हैं। अघोरी आम परंपराओं से दूर रहकर जीवन और मृत्यु के रहस्यों को समझने में लगे रहते हैं। इन्हें नागा साधुओं की तरह समाज से कुछ ज्यादा लेना देना नहीं होता है, जबकि नागा साधुओं का मुख्य उद्देश्य धर्म की रक्षा करना और शास्त्रों के ज्ञान में निपुण होना है।
किसे पूजते हैं अघोरी और नागा साधु? (Whom Do Aghori And Naga Sadhus Worship?)
आपको बता दें कि नागा साधु और अघोरी (Aghori and Naga Sadhus) दोनों ही भगवान शिव के परम भक्त होते हैं। हालांकि अघोरी का पूजन नियम थोड़ा अलग और डरावना होता है। ये श्मशान में रहते हैं और अपने शरीर पर श्मशान की राख लगाते हैं, जबकि नागा साधु अखाड़ों से जुड़े हुए होते हैं।
इसके अलावा वे हिमालय या फिर किसी एकांत स्थान पर वास करते हैं। नागा साधु अपने शरीर को ढकने के लिए कपड़े नहीं पहनते हैं। वे हवन की भभूत से अपने शरीर को ढकते हैं।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। JAIHINDTIMES यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है।