Mahakumbh Mela 2025 Date: सनातन धर्म में पौष पूर्णिमा (Paush Purnima) का विशेष महत्व है। इस शुभ अवसर पर गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान किया जाता है। Mahakumbh Mela 2025 Date
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धार्मिक मत है कि पौष पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान करने से जन्म-जन्मांतर में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। पौष पूर्णिमा पर बड़ी संख्या में साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं। आइए, पौष पूर्णिमा की तिथि, शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि जानते हैं-
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शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को प्रातः काल 05 बजकर 03 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, पूर्णिमा तिथि का समापन 14 जनवरी को देर रात 03 बजकर 56 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। इसके लिए 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा मनाई जाएगी।
कब से शुरू हो रहा है महाकुंभ मेला?
पौष पूर्णिमा से महाकुंभ मेला की शुरुआत हो रही है। इस दौरान पहला शाही स्नान 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन किया जाएगा। वहीं, 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन दूसरा शाही स्नान किया जाएगा। इसके बाद 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन तीसरा शाही स्नान किया जाएगा। वहीं, 02 फरवरी को वसंत पंचमी के दिन चौथा शाही स्नान किया जाएगा। 12 फरवरी यानी माघ पूर्णिमा को पांचवा शाही स्नान किया जाएगा। जबकि, 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन आखिरी शाही स्नान किया जाएगा।
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शुभ योग
पौष पूर्णिमा पर रवि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 07 बजकर 15 मिनट से हो रहा है। वहीं, समापन 10 बजकर 38 मिनट पर हो रहा है। साथ ही पूर्णिमा तिथि पर भद्रावास योग का भी संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि
पौष पूर्णिमा के दिन ब्रह्म बेला में उठकर सबसे पहले भगवान विष्णु को प्रणाम करें। इसके बाद दिन की शुरुआत करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अगर सुविधा है, तो गंगा स्नान करें। इस शुभ दिन से महाकुंभ मेले की शुरुआत होगी। अतः पौष पूर्णिमा पर गंगा स्नान करना परम फलदायी होगा। इसके बाद आचमन कर पीले रंग का नवीन वस्त्र धारण करें। अब भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें। तत्पश्चात, पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ करें। पूजा के अंत में आरती कर सुख-समृद्धि की कामना करें। पूजा के बाद आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करें।
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