Guillain Barre Syndrome: महाराष्ट्र में गुलियन बैरे सिंड्रोम थमने का नाम नहीं ले रहा है. हर दिन इस सिंड्रोम से पीड़ित लोगों के मामले सामने आ रहे हैं. Guillain Barre Syndrome
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अधिकारियों के अनुसार, अब तक राज्य में इसके 225 मामले सामने आए हैं, जिसमें 197 मामलों की पुष्टि हुई है. वहीं 28 लोग संदिग्ध हैं. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, गुलियन बैरे सिंड्रोम से होने वाली मौतों की संख्या में भी उछाल देखा गया है. अब तक इससे 12 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें 6 में सिंड्रोम की पुष्टि हुई है.
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स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, सामने आए 225 मामलों में 179 लोग पूरी तरह ठीक हो गए हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है. वहीं, पीड़ितों में 24 लोगों को आईसीयू में शिफ्ट किया गया है, जिसमें 15 की हालत बहुत खराब है और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है.
क्या है गुलियन बैरे सिंड्रोम (What is Guillain Barre Syndrome)
विशेषज्ञों के अनुसार, गुलियन बैरे सिंड्रोम एक न्यूरोलॉजिकल डिजीज है, जो हमारी मांसपेशियों को कमजोर बनाता है. इसकी शुरुआत अक्सर संक्रमण से होती है. इसमें पेरीफेरल नर्व्स डैमेज हो जाती है और इसमें सूजन तक आ जाती है. इससे पीड़ित मरीजों में ब्लड क्लॉटिंग, कार्डियक अरेस्ट और इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है. आंकड़ों के अनुसार, इस बीमारी के कारण हर साल करीब 7.5% लोगों की मौत हो जाती है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि सिंड्रोम से पीड़ित मरीज का अगर समय से इलाज शुरू हो जाता है, तो मरीज ठीक हो जाते हैं. हालांकि, गंभीर मामलों में आईसीयू यहां तक कि वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता पड़ती है.
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ये हैं गुलियन बैरे सिंड्रोम के लक्षण (These are the symptoms of Guillain Barre syndrome)
धड़कन का बढ़ जाना
चेहरे पर सूजन
सांस लेने में तकलीफ
चलने-फिरने में परेशानी होना
शरीर में चुभन के साथ दर्द
गर्दन घुमाने में समस्या
शरीर में कंपकंपी का महसूस होना
इलाज महंगा, एक इंजेक्शन 20 हजार का
GBS का इलाज महंगा है। डॉक्टरों के मुताबिक मरीजों को आमतौर पर इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) इंजेक्शन का कोर्स करना होता है। निजी अस्पताल में इसके एक इंजेक्शन की कीमत 20 हजार रुपए है।
पुणे में स्थिति डराने वाली
गुलियन बैरे सिंड्रोम से पीड़ित ज्यादातर मामले पुणे और उसके आसपास के क्षेत्रों से सामने आए हैं. यहां स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. अधिकारियों के अनुसार, पुणे नगर निगम से अब तक 46 मामले सामने आ चुके हैं. वहीं नए जुड़े गांवों में से 95, पुणे से सटे हुए पिंपरी चिंचवड़ से 33, पुणे ग्रामीण से 37 मामले सामने आए हैं. अधिकारियों ने बताया कि बढ़ते मामलों पर बारीकी से नजर रखी जा रही है और स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट पर रखा गया है.
डॉक्टरों ने मुताबिक GBS की चपेट में आए 80% मरीज अस्पताल से छुट्टी के बाद 6 महीने में बिना किसी सपोर्ट के चलने-फिरने लगते हैं। लेकिन कई मामलों में मरीज को एक साल या उससे ज्यादा समय भी लग जाता है।
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