#मास्टरकार्ड, डेटा को लेकर कंपनी ने लिया बड़ा फैसला
भुगतान क्षेत्र की दिग्गज कंपनी मास्टरकार्ड ने भारतीय ग्राहकों के लेनदेन से जुड़े आंकड़ों को अमेरिकी सर्वरों से हटाना शुरू कर दिया है और उन्हें भारत में संग्रहित करने का काम भी चालू कर दिया है. इस काम के 2019 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है, यह जानकारी एक अधिकारी दी है.
कंपनी ने यह कदम भारतीय रिजर्व बैंक के उस आदेश के बाद उठाया है, जिसमें उसने भुगतान से जुड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों को स्थानीय स्तर (भारत में) पर ही लेनदेन के आंकड़े संग्रहित करने के लिए कहा था.
हालांकि, मास्टरकार्ड ने पिछले साल अक्टूबर से ही भारतीय सर्वरों में आंकड़े संग्रहीत करने का काम शुरू कर दिया था, यह अमेरिका में संग्रहित आंकड़ों की नकल है.
मास्टरकार्ड के एशिया प्रशांत क्षेत्र के सह-अध्यक्ष अरी सरकार ने बताया, ‘अक्टूबर 2018 से आंकड़ों को भारत में संग्रहित किया जा रहा है. यह पहला चरण है, हमारे लिए सिर्फ भारत में ही संग्रहित करके रखे जाने वाले आंकड़े चिंता का विषय हैं क्योंकि यह सिर्फ कुछ सर्वर लगाने की बात नहीं है.
उन्होंने कहा कि मास्टरकार्ड रिजर्व बैंक के साथ बातचीत कर रही है और नियामक की जरूरतों के मुताबिक नियमों का अनुपालन करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.
डेटा प्रतिरूपण (नकल) वास्तव में तीन चरणों में पूरा होगा क्योंकि यह काफी जटिल है, यह सिर्फ कुछ सर्वर लगाने की बात नहीं है.’
पहला चरण पांच मई से शुरू हुआ है, जिसमें टोकन के रूप में लेनदेन से जुड़े आंकड़ों के कुछ हिस्से भारत में ही उपलब्ध होंगे. लेन-देन अधिकृत करने के काम जैसे अन्य चरणों पर कंपनी अनुपालन कर रही है.
उन्होंने कहा, ‘टोकन वॉल्ट और इसी तरह की अन्य चीजें भारत में ही बनेंगी. यह हमारी बड़ी कहानी का हिस्सा होगी, अगले कुछ महीनों में हम ऐसा करने में सक्षम होंगे. दिसंबर अंत तक लेनदेन से जुड़ी सभी चीजों को भारत में ही संग्रहित रखेंगे.’