Mehandipur Balaji : हनुमान जी की पूजा करने से कुंडली पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है और शुभ ग्रहों को बल मिलता है। मंगलवार को हनुमान की पूजा करने से भी मंगल दोष दूर होता है। इसलिए मंगलवार को साधक हनुमान की पूजा करते हैं। Mehandipur Balaji
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साथ ही हनुमान मंदिर जाकर उनके दर्शन करते हैं। इस अवसर पर मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में हनुमानजी की पूजा और दर्शन करने के लिए बहुत से लोग आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में बालाजी से पहले प्रेतराज सरकार की पूजा क्यों की जाती है? आइए, इससे जुड़ी पौराणिक कथा जानते हैं-
कथा
ऋषि नीलासुर त्रेता युग के समकालीन थे। तत्कालीन समय में मां केकैयी के हठ के चलते भगवान श्रीराम को चौदह वर्षों का वनवास मिला था। भगवान श्रीराम अपनी धर्मपत्नी मां सीता और अनुज लक्षमण के साथ वनवास में थे। उन दिनों रावण ने छल से मां सीता का हरण कर लिया। मां सीता की खोज में हनुमान जी को लंका भेजा गया था। इसका विवरण वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में मिलती है।
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हनुमान जी ने मां जानकी से भेंट करने के बाद अशोक वन में बालक समान खूब उत्पात मचाया था। यह देख लंका नरेश ने हनुमान जी को बंदी बना लिया और हनुमान जी की पूंछ में आग लगाने का आदेश दिया। उस समय हनुमान जी ने पूरी लंका को जला दिया था। कहते हैं कि जब हनुमान जी लंका दहन कर रहे थे। तभी उनकी भेंट ऋषि नीलासुर से हुई थी। लंका दहन के समय हनुमान जी की शक्ति देख नीलासुर समझ गए थे कि ये कोई साधारण कपि नहीं हैं। ये जरूर कोई दैवीय शक्ति हैं।
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तब नीलासुर ने हनुमान जी से परिचय पूछा कि आप कौन हैं और आपके आराध्य कौन हैं ? यह सुन हनुमान जी ने कहा कि मैं भगवान श्रीराम का सेवक हनुमान हूं और मेरे आराध्य जगत के पालनहार भगवान श्रीराम हैं। दशानन ने जगत की देवी मां सीता का हरण कर लिया है। मैं उसे आश्वस्त करने आया था कि वह मां सीता को जगत के पालनहार प्रभु श्रीराम को सकुशल लौटा दें, अन्यथा युद्ध के लिए तैयार रहें।
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हनुमान जी (HANUMAN JI) के वचनों को सुनने के बाद नीलासुर ने भगवान श्रीराम के दर्शन की इच्छा प्रकट की। हनुमान जी ने वचन दिया कि जल्द श्रीराम उन्हें दर्शन देंगे। लंका विजय के समय भगवान श्रीराम ने ऋषि नीलासुर को दर्शन दिया था। भगवान श्रीराम के दर्शन पाकर ऋषि नीलासुर का जीवन धन्य हो गया। उस समय नीलासुर ने भगवान श्रीराम से सदैव कृपा बरसाने की कामना की।
कहते हैं कि भगवान श्रीराम के बैकुंठ लौटने के बाद हनुमान जी मेहंदीपुर में बालाजी रूप में प्रकट हुए थे। उस समय उन्होंने नीलासुर को स्मरण किया और उन्हें प्रेतराज सरकार की उपाधि दी। साथ ही नीलासुर को न्याय करने और दंड देने का अधिकार दिया। इसके अलावा, नीलासुर को यह भी वरदान दिया कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर (Mehandipur Balaji Mandir Facts) में सबसे पहले प्रेतराज की पूजा की जाएगी। इस वरदान के चलते ही मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में प्रेतराज सरकार की पहले पूजा की जाती है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। JAIHINDTIMES यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है।