#Navratri : मां दुर्गा की उपासना से नवरात्रि में पाएं बड़े वरदान
#Navratri : देवी की उपासना की नवरात्रि 6 अप्रैल 2019 से शुरू हो चुकी है. हर तरफ माता के दरबार में रौनक ही रौनक है. आस्था का सैलाब मंदिरों में उमड़ रहा है. 9 दिन तक चलने वाली नवरात्रि में माता से 9 वरदान प्राप्त किए जा सकते हैं. धन, यश, बल, सुख संपदा, समृद्धि, निरोगी काया, एश्वर्य वैभव. नवरात्रि के दिनों में जो भी कुछ पाने की लालसा हो वो सब कुछ मिलता है. लेकिन उसके लिए माता को प्रसन्न करना होता है. नवरात्रि पर देवी पूजन और 9 दिन के व्रत का भी बहुत महत्व है.
नवरात्रि के 9 दिनों में ऐसे प्राप्त करें माता के ये 9 वरदान…
नवरात्रि का पहला दिन- आरोग्य और लंबी आयु का वरदान
नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. प्रकृति की देवी हैं मां शैलपुत्री और यही शिवांगी भी हैं. मां शैलपुत्री को सौभाग्य, प्रकृति और आयु की देवी माना जाता है. धर्म से जुड़े जानकारों की मानें तो मां शैलपुत्री की उपासना से आरोग्य और लंबी आयु का वरदान मिलता है. लेकिन नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की कृपा के साथ-साथ कुंडली के सूर्य को भी बलवान किया जा सकता है.
नवरात्रि का दूसरा दिन- समस्या से निपटने और सफलता प्राप्ति का वरदान
मां दुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी है. मां दुर्गा का यह रूप भक्तों और साधकों को अनंत कोटि फल प्रदान करने वाला है. इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की भावना जागृत होती है. विद्यार्थियों के लिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा बेहद खास होती है. विद्यार्थियों और तपस्वियों को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से जीवन में जटिल से जटिल समस्या से निपटने का मार्ग प्रशस्त हो जाता है. जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो, उन्हें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अवश्य करनी चाहिए, क्योंकि इनकी आराधना करने से चंद्रमा प्रबल होकर जीवन में सफलता के मार्ग खुल जाते हैं.
नवरात्रि का तीसरा दिन- पाप से मुक्ति, सौंदर्य का वरदान
मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप चन्द्रघंटा है. इनकी आराधना तृतीया को की जाती है. इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है. इनके शरीर का रंग सोने के समान बहुत चमकीला है और इनके दस हाथ हैं. चंद्रघंटा मां दुर्गा का तीसरा रूप हैं. इसका अर्थ है चंद्रमा के आकार वाले घंटे को धारण करने वाली है. इनकी उपासना से सभी पापों से मुक्ति मिलती है. वीरता के गुणों में वृद्धि होती है, स्वर में अद्वितीय अलौकिक माधुर्य का समावेश होता है तथा आकर्षण बढ़ता है.
नवरात्रि की चौथा दिन- निरोगी काया, लंबी आयु का वरदान
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की आराधना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था तब मां कूष्मांडा ने ब्रह्माण्ड की रचना की थी. मां कूष्मांडा ने मंद हंसी से ब्रह्माण्ड को उत्पन्न कर दिया था. मां कूष्मांडा के 8 हाथ हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहते हैं. मां के हाथों में धनुष, बाण, गदा, चक्र, कमल पुष्प, अमृत कलश और कमण्डल और जपमाला है. मां कूष्मांडा का वाहन शेर है. इनकी उपासना से सिद्धियों व निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु व यश में वृद्धि होती है.
नवरात्रि का पांचवा दिन- इच्छा पूर्ति का वरदान
नवरात्रि का पांचवां दिन मां स्कंदमाता का दिन होता है. मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायिनी हैं. स्कंदमाता की पूजा से मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं. कुमार कार्तिकेय का नाम स्कंद भी है. उनकी माता होने के कारण मां दुर्गा के इस स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है. स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं और वाहन सिंह है मां अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं. मां की पूजा से परमशांति और सुख का अनुभव होता है. माता अपने भक्तों की मुरादें हमेशा पूरी करती हैं. मन, वचन और कर्म से माता की पूजा में भरोसा रखना भी बेहद जरूरी है.
नवरात्र का छठा दिन-जीत और विवाह का वरदान
मां का छठा रूप मां कात्यायनी हैं. नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाती है. इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है. साथ ही मां दुश्मनों का संहार करने में सक्षम बनाती हैं. मां कात्यायनी की उपासना से मनचाही जीत का वरदान प्राप्त होता है. विवाह में आ रही बाधाएं भी दूर होती हैं. सुख समृद्धि और मानसिक शांति प्रदान करने वाली माता हैं मां कात्यायनी. माना जाता है कि मां कात्यायनी शीघ्र फल प्रदान करने वाली माता हैं. मां कात्यायिनी को ही महिषासुर मर्दिनी कहा जाता है.
नवरात्रि की सप्तमी- शत्रु की पराजय और भय दुर्घटना का नाश
नवरात्रि की सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की आराधना का विधान है. कालरात्रि को देख दुष्टों की रूह कांप जाती है. लेकिन मां कालरात्रि दिखने में जितनी कठोर नजर आती हैं उनके दिल में उतनी ही ममता है. समाज के दुश्मनों के लिए मां कालरात्रि काल बन जाती हैं. मां कालरात्रि का वाहन गर्दभ यानि गधा है. ये त्रिनेत्रधारी हैं. इनके गले में कड़कती बिजली की अद्भुत माला होती है. मां कालरात्रि की पूजा से वैसे तो बहुत से शुभ फल प्राप्त होते हैं. लेकिन नकारात्मा ऊर्जा को दूर करने में भय दुर्घटना से बचाने में भी मां कालरात्रि की पूजा विशेष लाभकारी है.
नवरात्रि की अष्टमी- धन और संपन्नता का वरदान
महागौरी देवी का आठवां रूप हैं. इनका अष्टमी के दिन पूजन का विधान है. इनकी पूजा समस्त संसार करता है. मां महागौरी परम कल्याणकारी हैं. ये ममता की मूरत हैं और भक्तों की सभी जरूरतों को पूरा करने वाली हैं. पूजन करने से समस्त पापों का क्षय होकर कांति बढ़ती है, सुख में वृद्धि होती है, लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि अगर आप आर्थिक कष्ट से परेशान हैं, तो मां महागौरी की पूजा आपके आर्थिक कमी की परेशानी को दूर कर सकती है. इसके अलावा महागौरी से मनचाहे विवाह का वरदान भी मिल सकता है.
नवरात्रि की नवमी- सिद्धियों का वरदान
मां सिद्धिदात्री की आराधना नवरात्रि की नवमी के दिन की जाती है. मां सिद्धिदात्री को शक्तियों का अवतार माना जाता है. मान्यता है कि इनकी साधना उपासना करके सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति की जा सकती है. मां सिद्धिदात्री को सभी 9 देवियों का संयुक्त स्वरूप भी माना जाता है. इसलिए मान्यता है कि सिर्फ इनकी उपासना करने से सभी 9 देवियों के पूजन का फल मिल जाता है. महानवमी की भव्य उपासना करके आप संपूर्ण नवरात्रि पूजन की शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं.