#Navratri2018, की पहली देवी मां शैलपुत्री देंगी पैतृक संपत्ति से लाभ
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रविवार दि॰ 18.03.18 को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नव संवत्सर 2075 का प्रारंभ हो गया है। ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र प्रतिपदा के प्रथम सूर्योदय पर ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी।
सुख-सुविधा में वृद्धि होती है
- श्रीराम का राज्याभिषेक भी इसी दिन किया गया था। नवरात्र स्थापना का पहला दिन यही होता है।
- इस दिन शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित पर शालिवाहन संवत्सर का प्रारंभ किया था।
- चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को घट स्थापना के साथ ही चैत्र नवरात्र का प्रारम्भ हो जाएगा।
- चैत्र नवरात्र की एकम पर प्रथम दुर्गा शैलपुत्री के पूजन का विधान है। चंद्रमा पर अधिपत्य रखने वाली शैलपुत्री मानव मन पर अपनी सत्ता रखती हैं।
- देवी शैलपुत्री मूलतः महादेव कि अर्धांगिनी शिवा ही है। देवी पार्वती पूर्वजन्म में दक्ष कन्या सती थी।
- इनका जन्म हिमनरेश हिमावन के घर पार्वती रूप में हुआ। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लेने पर इनका नाम शैलपुत्री पड़ा।
- श्वेत वर्ण शैलपुत्री के मस्तक पर स्वर्ण मुकुट में अर्धचंद्र सुशोभित है।
- ये वृष पर सवार हैं अतः इन्हें वृषारूढ़ा भी कहते हैं।
- इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल व बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है।
- देवी शैलपुत्री की साधना का संबंध चंद्र से है। कालपुरूष सिद्धांत के अनुसार कुण्डली में चंद्र का संबंध चौथे भाव से है।
- अतः देवी शैलपुत्री कि साधना का संबंध व्यक्ति के सुख, सुविधा, माता, निवास स्थान, पैतृक संपत्ति, वाहन, जायदाद व अचल संपत्ति से है।
- इनकी साधना से मनोविकार दूर होते हैं, जमीन जायदाद में लाभ होता है व सुख-सुविधा में वृद्धि होती है।
पूजन विधि
घर के अग्नि कोण में दक्षिणपूर्व मुखी होकर लाल वस्त्र पर गेहूं भरे तांबे के कलश पर नारियल रखकर घट स्थापना कर देवी शैलपुत्री का दशोंपचार पूजन करें। केसर मिले गौघृत का दीप करें, मोगरे की धूप करें, सफेद फूल चढ़ाएं, सफेद चंदन से तिलक करें, दूध-शहद चढ़ाएं, व मावे की मिठाई का भोग लगाएं, तथा 1 माला इस विशिष्ट मंत्र की जपें। पूजन के बाद भोग कन्या को खिलाएं।
पूजन मंत्र: वंदे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्ध-कृत-शेखरम्। वृषारुढाम् शूलधराम् शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
घट स्थापना मुहूर्त: प्रातः 06:45 से प्रातः 07:45 तक। (प्रातः कालीन)
घट स्थापना मुहूर्त: दिन 11:17 से दिन 12:17 तक। (मध्यान कालीन