ARTI PANDEY
सरकारी अफसरों और कर्मचारियों की लापरवाही से नौ करोड़ रूपए की चपत शासन को लग गई है। आलम यह है कि मरे हुए लोगों के खातों में ही करीब सात करोड रुपये डाल दिए गए। खेल का खुलासा तब हो रहा जब शासन के निर्देश पर पात्रों का सत्यापन शुरू किया गया। यहां बात किसान सम्मान निधि में दिए जा रहे धन की हो रही है। नौ करोड़ रुपये की किसान सम्मान निधि मृतकों और अपात्रों के खातों में भेज दी गई है। 3105 मृत किसानों के खाते में सात करोड़ और 793 अपात्रों के खाते में 1.90 करोड़ रुपये भेजे गए हैं। लेखपालों के सत्यापन 584 भूमिहीन भी ले में यह हकीकत सामने आई है। इन सभी के खातों में रोक लगा दी गई है। कृषि उपनिदेशक (Deputy Director of Agriculture) अरुण कुमार ने बताया कि पहली बार पात्र लाभार्थियों का भूलेख सत्यापन कराया गया है। सभी मृतकों और अपात्रों के खाते पर रोक लगा दी गई है। सभी से वसूली की जाएगी। जो किसान पते पर नहीं मिल रहे, उनका दोबारा सत्यापन कराया जाएगा। लेखपालों ने अभी पूरे अभिलेखों का सत्यापन नहीं किया है।
हम आपको दो मामले बताते हैं :
बिल्हौर के शादीपुर गांव की रहने वाली रानी शुक्ला और पति प्रमोद कुमार शुक्ला दोनों किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थी हैं। नियमतः पति-पत्नी में सिर्फ एक को ही योजना का लाभ मिल सकता है।
नर्वल तहसील के साढ़ गांव निवासी सत्येंद्र भूमि नहीं है। इसके बावजूद इनके खाते में किसान सम्मान निधि का पैसा भेजा गया।
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किसानों का सत्यापन कराया
एक दिसंबर 2018 से शुरू हुई किसान सम्मान निधि योजना में अब तक 12 बार दो-दो हजार रुपये किसानों के खाते में भेजे जा चुके हैं। शुरुआत में जिले में 2.61 लाख किसानों के खातों में पहली किस्त भेजी गई थी। वर्तमान में किसानों की संख्या 1.29 लाख ही रह गई है। इनके खाते में नवंबर माह में 12वीं किस्त गई थी। वहीं, सत्यापन के दौरान 19267 किसानों का कोई लेखाजोखा ही नहीं में सत्यापन न होने के कारण यह सब मिला है। लेखपालों ने ऑनलाइन भूमि के अभिलेखों की जांच की तो कहीं पर इनके नाम जमीन नहीं मिली, पता भी फर्जी पाया गया। शासन के निर्देश पर पहली बार सम्मान निधि पाने वाले किसानों का सत्यापन कराया गया तो पूरा मामला सामने आया।
सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा नर्वल तहसील में
आंकड़ों के मुताबिक, नर्वल तहसील में 1586, बिल्हौर में 1160, सदर तहसील में 902 और घाटमपुर तहसील में 250 मृतक और अपात्र मिले हैं। हालांकि अभी तक सभी किसानों का सत्यापन कार्य नहीं हो सका है। विभाग बचे हुए किसानों का अपने स्तर पर सत्यापन करा रहा है।
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109 किसान सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त
सत्यापन में 584 भूमिहीन किसान भी लाभ लेते पाए गए, जबकि भूमिहीन इस योजना के लिए पात्र ही नहीं है। 58 किसान ऐसे मिले जो सरकारी नौकरी कर रहे हैं। 10 किसानों ने अपनी जमीन बेच दी है। 1375 ऐसे पात्र मिले जिनमें पति-पत्नी दोनों लाभ ले रहे थे। 109 किसान सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त हैं।