Night Depression Causes: कई लोगों को रात के समय ज्यादा अकेलापन महसूस होता है। उन्हें अच्छा नहीं लगता और वे डिप्रेशन (Depression) महसूस करने लगते हैं। Night Depression Causes
चीटियों को सीधी लाइन में चलते तो देखा होगा, मगर क्या आप जानते वजह?
ऐसा क्यों होता है (Night Depression Causes)?
क्यों व्यक्ति को दिनभर अच्छा महसूस होता है लेकिन रात होते ही उनके मन में उदासी घर बनाने लगती है। हम रात के डिपेशन के कारणों के बारे में ही जानने की कोशिश करेंगे।
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साइकोलॉजिकल और फिजिकल कारण
रात का समय अक्सर अकेलेपन और शांति का समय माना जाता है, लेकिन कई लोगों के लिए यह समय उदासी, चिंता और डिप्रेशन जैसे इमोशन्स को बढ़ा देता है (Night Depression Symptoms)।
अकेलापन (Loneliness)
रात के समय जब आसपास का वातावरण शांत हो जाता है और लोग आराम करने लगते हैं, तो व्यक्ति अक्सर अपने ख्यालों के साथ अकेला रह जाता है। दिनभर बिजी रहने के कारण हम अपने विचारों और इमोशन्स को दबा देते हैं, लेकिन रात को जब हम शांत होते हैं, तो यही विचार और भावनाएं बाहर आने लगती हैं। अकेलापन और नेगेटिव ख्यालों का बोझ व्यक्ति को डिप्रेस्ड महसूस करा सकता है।
सोशल मीडिया (social media)
आजकल लोग रात के समय सोशल मीडिया और इंटरनेट का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। सोशल मीडिया पर दूसरों की जिंदगी की तस्वीरें देखकर व्यक्ति अपनी तुलना करने लगता है, जिससे मन में नेगेटिव भावनाएं आने लगती हैं और व्यक्ति डिप्रेस्ड महसूस कर सकता है। इसके अलावा, मोबाइल और कंप्यूटर स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट दिमाग को एक्टिव रखती है, जिससे नींद की क्वालिटी प्रभावित होती है और स्ट्रेस बढ़ता है।
बायोलॉजिकल क्लॉक (biological clock)
हमारे शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक (सर्केडियन रिदम) हमारे मूड और एनर्जी लेवल को कंट्रोल करती है। रात के समय इस क्लॉक के कारण शरीर की एक्टिविटीज धीमी हो जाती हैं और दिमाग के फंक्शन भी प्रभावित होते हैं। इससे व्यक्ति को उदास और डिप्रेस्ड महसूस हो सकता है।
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नींद की कमी (lack of sleep)
इनसोम्निया और नींद की कमी डिप्रेशन का अहम कारण है। जो लोग रात को सो नहीं पाते या उनकी नींद बार-बार टूटती है, उन्हें अक्सर नेगेटिव ख्याल आते हैं। नींद की कमी से दिमाग पर भी असर पड़ता है, जिससे व्यक्ति को डिप्रेशन की समस्या हो सकती है।
थकान और एनर्जी की कमी (Fatigue and lack of energy)
दिनभर की थकान के बाद शरीर की एनर्जी कम हो जाती है, जिससे साइकोलॉजिक रूप से भी व्यक्ति कमजोर महसूस करता है। थकान के कारण दिमाग में पॉजिटिव बातें भी कम ही आती हैं और नेगेटिव ख्यालों पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है। इससे व्यक्ति को रात के समय ज्यादा डिप्रेस्ड महसूस हो सकता है।
मेलाटोनिन हार्मोन का असर (effect of melatonin hormone)
रात के समय शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन का लेवल बढ़ जाता है, जो नींद को कंट्रोल करता है। यह हार्मोन शरीर को सोने के लिए तैयार करता है, लेकिन साथ ही यह मूड को भी प्रभावित करता है। मेलाटोनिन का लेवल बढ़ने से व्यक्ति को उदासी और डिप्रेशन जैसे इमोशन्स महसूस हो सकते हैं।
लाइफस्टाइल और स्ट्रेस (Lifestyle and stress)
मॉडर्न लाइफस्टाइल में स्ट्रेस और एंग्जायटी का लेवल बढ़ गया है। काम का दबाव, फाइनेंशियल परेशानियां, रिश्तों में तनाव जैसी समस्याएं रात के समय और भी गहरा जाती हैं। जब व्यक्ति इन समस्याओं के बारे में सोचता है, तो उसका मेंटल स्ट्रेस बढ़ जाता है, जो डिप्रेशन का कारण बन सकता है।
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