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2002 में पंजाब के सीएम के वायदे के चलते एमए करने वाले हेड कांस्टेबल की याचिका खारिज
JAIHINDTIMES
CHANDIGARH
मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा की तब तक कोई कानूनी शक्ति नहीं है जब तक नियमों में संशोधन कर प्रशासनिक आदेश जारी नहीं किए जाते। केवल मुख्यमंत्री की घोषणा की है इस आधार पर कोई कानूनी दावा नहीं किया जा सकता है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने यह आदेश हेड कांस्टेबल बलजिंदर सिंह व अन्य की याचिका को खारिज करते हुए जारी किए हैं।
याकिचा दाखिल करते हुए बलजिंदर ङ्क्षसह ने कहा कि पंजाब पुलिस एकेडमी फिल्लौर में चौथे दीक्षांत समाहरोह के दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री आए थे और उन्होंने घोषणा की थी कि जो भी पुलिस कर्मी एमए पुलिस एडमिनस्ट्रेशन की डिग्री करेगा उसकी एक रैंक बढ़ा दी जाएगी।
इसके बाद याची ने 2004 में एमए पुलिस एडमिनस्ट्रेशन में प्रवेश लिया और 2006 में एमए पूरी कर ली। इसके बाद उसने प्रमोशन के लिए दावा किया लेकिन डीजीपी ने इससे इनकार कर दिया। उसे बताया गया कि पॉलिसी में परिवर्तन किया गया है और डीजीपी ने निर्णय लिया है कि केवल पहली, दूसरी व तीसरी रैंक लेने वालों को ही एक रैंक बढऩे का लाभ दिया जाएगा। याची ने कहा कि सीएम की घोषणा पर 19 लोगों को एक रैंक की प्रमोशन दी गई तो उसे भी यह लाभ दिया जाना चाहिए।
पंजाब सरकार ने इसपर कहा कि प्रमोशन के लिए लगतार कोर्स करने वालों की संख्या बढ़ रही थी और इतनी प्रमोशन दी नहींं जा सकती थी इसलिए डीजीपी ने एक बैठक कर लाभ को सीमित करने का निर्णय लिया। हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सीएम की घोषणा में कोई कानूनी शक्ति नहीं है जबकि डीजीपी को प्रशासनिक आदेश जारी करने का अधिकार है। ऐसे में डीजीपी ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल किया जिसे गलत नहीं कहा जा सकता है।
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