सरकार ने सुरक्षा के मद्देनजर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (HSRP) वाहनों में लगवाना जरूरी कर दिया है. वैसे दिल्ली में एक अप्रैल 2019 से पहले के सभी वाहनों के लिए हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (एचएसआरपी) और कलर कोड वाले स्टिकर लगाना अनिवार्य कर दिया गया है.
अब इसे सख्ती से लागू करने के लिए वाहनों की फिटनेस, परमिट या फिर वाहन के संबंध में अन्य कोई काम बिना हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के नहीं होगा. यानी हाई सिक्योरिटी नंबर बिना फिटनेस प्रमाणपत्र नहीं मिलेगा, न ही वाहन संबंधी कोई कार्य हो सकेगा. बिना हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट वाले वाहनों के आरटीओ में होने वाले 13 कामों पर रोक लगा दी है.
उत्तर प्रदेश सरकार (Government of Uttar Pradesh) HSRP को लेकर और सख्त है. परिवहन कार्यालय में बिना सिक्योरिटी नंबर प्लेट वाले वाहनों से संबंधित कोई कार्य 19 अक्टूबर से नहीं होंगे. बगैर सिक्योरिटी नंबर प्लेट वाले कामर्शियल वाहनों से जुड़े कार्यालय 15 अक्टूबर से ही बंद कर दिए गए हैं. सरकार ने वाहनों से जुड़े कागजातों के कार्य कराने के लिए सिक्योरिटी नंबर प्लेट का होना अनिवार्य कर दिया है.
यही नहीं, परिवहन विभाग ने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के बगैर किसी भी वाहन का फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने का काम 15 अक्टूबर से ही बंद कर दिया है. पुलिस और परिवहन विभाग इस व्यवस्था को सख्ती से लागू करेगा. 19 अक्टूबर के बाद हाई सिक्योरिटी प्लेट नहीं लगाने वाले वाहनों के चालान भी किए जाएंगे.
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हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाने के लिए आप डीलर से संपर्क कर सकते हैं या फिर ऑनलाइन भी आवेदन कर सकते हैं. ऑनलाइन अप्लाई करने के लिए bookmyhsrp.com/index.aspx पर विजिट करें, जहां पर आपको प्राइवेट वाहन और कमर्शियल वाहन के दो ऑप्शन दिखाई देंगे. प्राइवेट व्हीकल टैब पर क्लिक करने पर पेट्रोल, डीजल, इलेक्ट्रिक, CNG और CNG+ पेट्रोल का ऑप्शन चुनना होगा.
HSRP की खाासियत
परिवहन विभाग की मानें तो यह व्यवस्था लागू होने पर वाहन को ट्रेस करने में आसानी होगी. प्लेट पर एक बार कोड और होलोग्राम होगा. पुलिसकर्मियों और परिवहन कर्मचारियों के मोबाइल में एक सॉफ्टवेयर होगा. जांच के दौरान मोबाइल से प्लेट का फोटो लेने पर बाइक की पूरी जानकारी सामने आ जाएगी.
इन नंबर प्लेट्स के साथ छेड़छाड़ करना मुमकिन नहीं है, क्योंकि क्रोमियम बेस्ड होते हैं. 07 अंकों का यूनीक लेजर कोड भी रहेगा. होलोग्राम स्टीकर में वाहन के इंजन और चेसिस नंबर होंगे. यह नंबर प्रेशर मशीन से लिखा जाता है.
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