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शास्त्रनुसार चतुर्दशी के स्वामी स्वयं परमेश्वर शिव हैं। शास्त्र गर्ग संहिता के अनुसार चतुर्दशी तिथि चन्द्रमा ग्रह की जन्म तिथि है। Shivalinga
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महाशिवरात्रि को शिव उत्पत्ति के रूप में मानते हैं
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चतुर्दशी के स्वामी परमेश्वर शिव हैं। इस तिथि को शिव पूजन व व्रत करना उत्तम रहता है।
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चतुर्दशी की अमृतकला को स्वयं परमेश्वर शिव ही पीते हैं।
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चतुर्दशी तिथि को क्रूरा कहा गया है। इस तिथि की दिशा पश्चिम है।
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पौराणिक मतानुसार शिवरात्रि पर्व वैदिक काल से ही मनाया जाता है। इस व्रत व पर्व का पालन देवी लक्ष्मी, सरस्वती, गायत्री, सीता, पार्वती व रति ने विधिवत किया था।
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साल में 12 मासिक शिवरात्रि पर्व मनाए जाते हैं। हर मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाने वाला मासिक शिवरात्रि पर्व महादेव को अति प्रिय है।
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मान्यतानुसार शिवरात्रि शिव-शक्ति के मिलन का पर्व है। शिवरात्रि के प्रदोषकाल में शंकर-पार्वती का विवाह हुआ था। प्रदोष काल में महाशिवरात्रि तिथि में सर्व ज्योतिर्लिंगों का प्रादुर्भाव हुआ था व सर्वप्रथम ब्रह्मा और विष्णु ने महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पूजन किया था।
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पौराणिक मान्यतानुसार दिव्य ज्योर्तिलिंग का उदभव चतुर्दशी तिथि को माना जाता है व महाशिवरात्रि को शिव उत्पत्ति के रूप में मानते हैं।
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मध्य रात्रि के दौरान किए जाने वाले शिवरात्रि पूजन को निशिता कहते हैं।
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संध्या के समय किए जाने वाले शिवरात्रि पूजन को प्रदोष कहते हैं।
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शास्त्रनुसार चैत्र शिवरात्रि के पूजन, व्रत व उपायों से सर्व मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, हर मुश्किल कार्य सुगम होता है व सदा निरोगी काया प्राप्त होती है।
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विशेष पूजन
संध्या काल में शिवलिंग का पंचोपचार पूजन करें। शुद्ध घी का दीप करें, सुगंधित धूप करें, पीले कनेर के फूल चढ़ाएं, शपीले चंदन से त्रिपुंड बनाएं, केसर युक्त चावल की खीर का भोग लगाएं। इस विशेष मंत्र को 108 बार जपें। इसके बाद भोग किसी गरीब को बांट दें।
विशेष मंत्र: ॐ त्र्यम्बकाय नमः॥
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उपाय
सदा निरोगी बने रहने हेतु सफेद शिवलिंग पर जलाभिषेक करें।
मुश्किल कार्य में आसानी हेतु शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाएं।
मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु शिवलिंग पर चढ़ा चांदी का टुकड़ा पर्स में रखें।
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