RAHUL PANDEY
जलमग्न स्थानों का संरक्षण, तालाबों की सूची, अमृत सरोवर का निर्माण छोडिए अफसर अगर ऐतिहासिक स्थलों को ही संभाल के रखे तो बडी बात है। पीएम मोदी लगातार तालाबों के संरक्षण को लेकर मन की बात करते हैं , लेकिन प्रशासन बेसुध है। चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय स्थित डेढ़ सौ साल पुराना सीएसए तालाब रखरखाव न होने के कारण सूखा पड़ा है। ऊंची-ऊंची घास उग आईं हैं। सीढिय़ां और किनारे टूट गए हैं। तालाब में पानी की जगह गंदगी पड़ी हुई है। यह आलम तब है जब मंडलायक्त डाॅक्टर राजशेखर (Commissioner Dr. Rajasekhar) ने संबंधित विभाग को इसके सुंदरीकरण के आदेश दे रखे हैं। सूत्रों की माने तो तालाब के रखरखाव को लेकर नगर निगम ने दो साल पहले लाखों रूपये खर्च भी किए।
दो साल पहले हुआ था टेंडर
अंदरखाने की माने तो नगर निगम ने तालाब के रखरखाव और सुंदरीकरण को लेकर टेंडर कराया था। एक अफसर के अनुसार टेंडर होने के बाद जल्द काम शुरू किए जाने की बात बताई गई थी। बताया गया कि नगर निगम ने पहल करते हुए शहर में सरकारी तालाबों के रखरखाव के साथ ही चंद्रशेखर आजाद विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक तालाब का भी सुंदरीकरण करने का फैसला लिया था। तालाब को बारिश के पानी से जोडऩे व सुंदरीकरण कराने का खाका तैयार किया। 25.80 लाख रुपये से तालाब का सुंदरीकरण किया जाना था।
मंडलायुक्त ने मई 2022 में की थी बैठक
मंडलायुक्त डा. राजशेखर ने मई 2022 को सीएसए परिसर में स्थित ऐतिहासिक तालाब का जायजा लिया था। उन्होंने सीएसए कुलपति के साथ बरसात के मौसम में तालाब में पर्याप्त जल प्रवाह सुनिश्चित कराकर इस तालाब का कायाकल्प कराने के विकल्प पर अध्ययन करने और विवरण उपलब्ध करने के लिए कहा था। मंडलायुक्त डा. राजशेखर ने नगर आयुक्त को इस तालाब पर पानी के स्रोत की पहचान करने व इस साइट पर पानी पहुंचने के बाद रास्ते (वाकिंग ट्रैक), बैठने की जगह (बेंच), पौधारोपण जैसे लंबित कार्यों को पूर्ण करने के लिए कहा था।
तालाबों की पहचान करके 18 मई 2022 तक मांगी गई थी रिपोर्ट
केंद्र सरकार की अमृत सरोवर परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए मंडलायुक्त डा. राजशेखर ने कानपुर मंडल के सभी डीएम व आइआइटी, सीएसए, सीएसजेएमयू, एचबीटीयू और मेडिकल कालेज के निदेशक, कुलपति, प्राचार्य को भूमि रिकार्ड देखने और तालाबों की पहचान करने और इस प्रोजेक्ट के तहत सूचीबद्ध करने के लिए पत्र जारी किए था। यह सूची 18 मई तक मंडल आयुक्त कार्यालय में जमा की जानी थी। इसके बाद 30 मई तक प्रोजेक्ट तैयार किया जाएगा था।
गरीबों को रोजगार दिलाने को बना था तालाब
तालाब का निर्माण वर्ष 1837-38 में अकाल पडऩे पर गरीबों को रोजगार दिलाने के लिए कराया गया था। मजिस्ट्रेट आईसी विल्सन की निगरानी में तालाब का निर्माण कराया गया था। तालाब और उसके चारों तरफ सीढिय़ों का निर्माण कराया गया था। इसमें 12 हजार रुपये की धनराशि व्यय हुई थी। इस काम में कैदियों को भी लगाया गया था।
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