अन्न व जल का सारतत्व ही ग्रहण करते हैं
#PitruPaksha : मनुष्यों का जैसे आहार अन्न है, पशुओं का आहार तृण है, वैसे ही पितरों का आहार अन्न का सारतत्व (गंध और रस) है. अत: वे अन्न व जल का सारतत्व ही ग्रहण करते हैं. हिंदू धर्म की मान्याताओं के अनुसार यमराज जी का कहना है कि श्राद्ध करने से इंसान को एक नहीं बल्कि छह लाभ मिलते हैं.
लाभ
- श्राद्ध कर्म से मनुष्य की आयु बढ़ती है.-पितरगण मनुष्य को पुत्र प्रदान कर वंश का विस्तार करते हैं.
- पितरगण मनुष्य को पुत्र प्रदान कर वंश का विस्तार करते हैं.
- परिवार में धन-धान्य का अंबार लगा देते हैं.
- श्राद्ध कर्म मनुष्य के शरीर में बल-पौरुष की वृद्धि करता है और यश व पुष्टि प्रदान करता है.
- पितरगण स्वास्थ्य, बल, श्रेय, धन-धान्य आदि सभी सुख, स्वर्ग व मोक्ष प्रदान करते हैं.
- श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करने वाले के परिवार में कोई क्लेश नहीं रहता, वरन वह समस्त जगत को तृप्त कर देता है.
पितृपक्ष में पूर्वजों को याद करके पूजा-पाठ के अलावा दान-धर्म किया जाता है. इन दिनों ग्रहों की शांति के लिए दान-पुण्य और पूजा पाठ किए जाते हैं, ताकि हम पर पूर्वजों का आशीर्वाद बना रहे.