सोच व परिस्थितियाँ बदलती नजर आ रही है
KANPUR: कोरोना corona का संक्रमण सम्पूर्ण विश्व के लिए एक कठिन चुनौती बना हुआ है ऐसी चुनौती जिसकी कल्पना कभी किसी ने नहीं की थी| बड़े-बड़े विकसित एवं सर्व साधन सम्पन्न देश तो ज्यादा ही प्रभावित दिख रहे है| इसी लिए सारी सोच व परिस्थितियाँ बदलती नजर आ रही है|
आज मै देख रहा हूँ कि भारत वर्ष में संक्रमण की रफ़्तार कम होती नजर दिख रही है| इसीलिए संक्रमित लोगों का दोगुना होने का खतरा अब तीन दिनों से बढकर 10 दिन होता दिख रहा है| इसका श्रेय निश्चित अब से हमारे कुशल नेतृत्व व उनके द्वारा लिये कठोर निर्णयों को जायेगा जो आज हमको कम बलिदान के बाद बेहतर स्थिती में रखे हुए है
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इसलिए संक्रमित लोंगों की संख्या के हिसाब से हम अभी तक 16 वें स्थान पर है| इसमें काफी कुछ योगदान हमारी युवा जनसँख्या एवं भौगोलिक स्थिती तथा हमारी शारीरिक सुरक्षा तंत्र को जाता है| सही बात तो यह भी है कि अभी हमारे ऊपर से पूरी तरह खतरा टला नहीं है| अभी लॉकडाउन हटाने के उपरांत संक्रमित लोगो की संख्या में तेज वृद्धि भी हो सकती है| लेकिन मै भारत के प्रधान मंत्री के नेतृत्व की सराहना करना नही भूलना चाहता हूँ उनको वैसे Disaster Management में महारत हासिल है|
पूर्व में भी उन्होंने कई बार इस बात का अहसास कराया है कि मेरा देश एक सुशिक्षित हाथो में है| भारत सरकार के स्वास्थय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन जी ने पोलियो को हिंदुस्तान से समाप्त करवाया है, कोरोना Pandomic पर कुशल व्युह रचना की है| जल्द अच्छे परिणाम आयेंगे ऐसी उम्मीद करनी चाहिए|
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इससब को एक कुशल अंजाम दिया सेनापति की तरह माननीय योगी जी ने जिनकी नेतृत्व क्षमता में देश के उच्च नेता की छवि दिखती है| मेरा विश्वास है कि कोरोना काल के बाद बदले वैश्विक माहौल में हमारे ये नेता मौके पर चौका मरने में माहिर है, इसीलिए देर नहीं करेंगे | चीन की कारगुजारियो से हर कोई देश प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से परेशान है तथा इसके बाद उनका असली चरित्र भी उजागर हो रहा है| अतः भारत वर्ष के लिए बड़ा मौका हो सकता है|
आमलोगों की तरह सरकार की कोई आमदनी हो नहीं रही अपितु खर्चा ही हो रहा है| अतः अर्थव्यवस्था एक खराब स्तर पर पहुँच गई है, इसीलिए हमको सावधानी पूर्वक संयमित रहते हुए लॉकडाउन को हटाना है और आर्थिक गति बढाने के लिए सधे हुए कदम रखने है| कुछ देशो ने ऐसा किया है और उनके यहाँ अच्छे परिणाम आये है जैसे की स्वीडन एवं साऊथ कोरिया आदि देशो ने लॉकडाउन नहीं किया फिर भी बेहतर स्थिति में है| हर देश की अपनी अलग स्थिति होती है, जो हमने किया अबतक बेहतर किया|
हमने इस संक्रमण काल में बहुत चीज़े अर्जित की मिसाल के तौर पर हमको गरीब, असभ्य अत्यधिक जनसंख्या घनत्व, जिसके पास अपने संसाधनों की कमी वाला देश मान रहे थे इसलिए हमने दिखा दिया है की हम जनसख्या में ज्यादा जरुरहै| लेकिन हम अपने पैरो पर खड़े हो सकते है| हमने कम समय में चुनौतियाँ स्वीकार कर के इस समस्या से निपटने के लिये अपनी जरुरतो के संसाधन जुटा लिए है|
#Indian constitution : Article 15 Prohibition of discrimination
मैं यहाँ पर अपने नीति निर्धारण करने वालो लोगो से जरुर चांहूगा कि भारत वर्ष के हेल्थ सेक्टर को बुनियादी मजबूती देना है| हमको इस देश के प्राइवेट हॉस्पिटल को भी बढावा देना होगा, क्योंकि इस समय देश के 70% जनसँख्या को स्वास्थ सुविधा प्रदान करने में इनका योगदान है| हमे मेडिकल टूरिज्म में बहुत अच्छा काम कर सकते है|
हम चिकित्सा उपकरण बनाने के लिए हब बन सकते है| कई नये स्टार्टअप की शुरुआत से कई आविष्कार कर सकते है| इसके लिए मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज एवं बायोटेक्नोलॉजी कॉलेज के शिक्षको को आपस में सहयोग करने की जरूरत है, क्योकि इस समय हमलोग मेडिकल का छोटे से छोटा व बड़ी मशीने आयात ही करते है| फिर भी उनको चलाने के लिए उनके हाथों में बिक जाते है|
इस तरह से, हम लोगो के यहाँ भारतीय चिकित्सा परिषद ने बहुत अच्छे निर्णय लिए है| इनके अच्छे परिणाम आने वाले सालों में आने लगेंगे| इस तरह से हम मानक पूर्ण करते हुए कार्यकुशल डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ तैयार कर सकते है| जिसकी हमारी स्वास्थ्य विभाग को आवश्यकता है| तब, हम प्रधानमंत्री जी की मेक इन इंडिया प्रोग्राम को सफल बना सकते है|
नोट: लेखक डॉ. विकास शुक्ला वरिष्ठ न्यूरो सर्जन हैं। आर्टिकल में दिए गए विचार उनके खुद के हैं।