Qualities of Pittapappa: गेंहूं के खेतों में उगने वाला एक छोटा सा पौधा, जिसे अधिकांश लोग सिर्फ एक घास समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं, वह दरअसल एक औषधि है पित्तपापड़ा. Qualities of Pittapappa
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यह पौधा न केवल प्रकृति का एक दुर्लभ उपहार है, बल्कि आयुर्वेद में इसे कई रोगों से मुक्ति दिलाने वाली जड़ी-बूटी के रूप में जाना जाता है.
करता है शरीर के अंदर बदलाव
छोटी सी हाइट और नन्हे से फूलों के बावजूद, पित्तपापड़ा (Pittapappa) में ऐसे गुण समाहित हैं, जो शरीर के भीतर के कई विकारों को सुधारने में सक्षम हैं. जलन से लेकर बुखार, घावों से लेकर मुंह की बदबू तक, यह प्राकृतिक औषधि हमें हर कदम पर स्वास्थ्य का खजाना प्रदान करती है. पित्तपापड़ा की यह कहानी न केवल हमारे शरीर के लिए बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए एक खजाने से कम नहीं है, जो हमें प्रकृति ने बड़ी नफासत से दिया है. यह पौधा राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब और बिहार में. इसके बारे में माना जाता है कि यह एक चमत्कारी औषधीय पौधा है, जिसका इस्तेमाल आयुर्वेद में विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है.
आंखों में काजल की तरह लगाने से मिलता है आराम (Applying it like kajal in the eyes gives relief)
आंखों के रोगों के उपचार में भी पित्तपापड़ा का उपयोग किया जाता है. इसके रस को आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों की सूजन और खुजली में आराम मिलता है. हालांकि, इसे आंखों के अंदर नहीं डालना चाहिए. इसके रस का प्रयोग आंखों की बाहरी त्वचा पर करना चाहिए, जिससे किसी प्रकार का संक्रमण न हो.मुंह की बदबू को दूर करने में भी पित्तपापड़ा बहुत कारगर है. इसके काढ़े से गरारा करने से न केवल मुंह की दुर्गंध खत्म होती है, बल्कि मुंह से संबंधित कई बीमारियों का इलाज भी होता है. यह मुंह के अंदर की सफाई को बनाए रखने में भी मदद करता है.
शरीर में होने वाली जलन और घावों को करता है जल्दी ठीक (Heals burns and wounds quickly)
आयुर्वेद के अनुसार, पित्तपापड़ा के पत्तों में पित्त, वात और कफ दोषों को संतुलित करने की क्षमता होती है. यह घास तिक्त, कटु, शीतल और लघु गुणों से भरपूर होती है. इसके प्रभावी गुणों को चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसे प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी विस्तार से बताया गया है. आयुर्वेद के अनुसार, पित्तपापड़ा का उपयोग पित्तज्वर (पित्त से होने वाले बुखार), खुजली, पेट के कीड़े, मुंह की बदबू, आंखों के रोग, और कई अन्य विकारों के इलाज में किया जाता है. इसके अलावा यह शरीर में होने वाली जलन और घावों को भी जल्दी ठीक करता है.
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पित्तपापड़ा का सबसे बड़ा गुण यह है कि यह एक प्राकृतिक एंटीइंफ्लेमेटरी (सूजन नाशक) और एंटीबैक्टीरियल पौधा है. यह घावों को जल्दी ठीक करने, जलन को शांत करने और संक्रमण से बचाने में मदद करता है. अगर किसी व्यक्ति के शरीर या त्वचा में जलन हो, तो पित्तपापड़ा की पत्तियों का रस लगाने से जलन में तुरंत राहत मिलती है. इसके अलावा, इस पौधे के रस का सेवन भी शरीर की अंदरूनी जलन को शांत करता है.
पित्तपापड़ा का एक और महत्वपूर्ण उपयोग बुखार के इलाज में है. यह पित्त और वात के असंतुलन से होने वाले बुखार को शांत करने में मदद करता है. इसके लिए पित्तपापड़ा का काढ़ा तैयार कर, उसमें सोंठ चूर्ण मिला कर सेवन किया जाता है, जो बुखार को कम करने में सहायक होता है. इसके अतिरिक्त, इसके काढ़े का सेवन सर्दी-जुकाम और कब्ज जैसी समस्याओं में भी राहत प्रदान करता है. यह पाचन क्रिया को भी बेहतर बनाता है और गैस्ट्रिक समस्याओं से निजात दिलाता है.
कीड़ों को खत्म करने के लिए इस्तेमाल (used to eliminate insects)
पेट के कीड़ों को खत्म करने के लिए भी पित्तपापड़ा का इस्तेमाल किया जाता है. इसके काढ़े को विडंग के साथ मिलाकर सेवन करने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं और भूख में सुधार होता है. इसके अलावा, पित्तपापड़ा का रस उल्टी रोकने में भी सहायक होता है. यदि किसी व्यक्ति को बार-बार उल्टी हो रही हो, तो पित्तपापड़ा के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से उल्टी की समस्या में राहत मिलती है.
पित्तपापड़ा की यह गुणकारी औषधि आयुर्वेद के सिद्धांतों को पूरी तरह से प्रमाणित करती है. इसके अनेक उपयोगों के कारण यह न केवल आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा, बल्कि आधुनिक डॉक्टरों द्वारा भी अत्यधिक सराहा गया है. यह पौधा अपनी प्राकृतिक औषधीय शक्तियों के कारण सभी उम्र के लोगों के लिए लाभकारी है. चाहे वह बच्चों को पेट के कीड़ों से निजात दिलाने का मामला हो, या वृद्धों को बुखार और जलन से राहत दिलाने की बात हो, पित्तपापड़ा हर तरह के इलाज में सहायक साबित हो रहा है.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से… (From a scientific point of view)
इस पौधे का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अध्ययन किया गया है, और इसके गुणों की पुष्टि हुई है. पित्तपापड़ा की इस अद्भुत औषधीय क्षमता को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि यह न केवल एक औषधि के रूप में, बल्कि एक प्राकृतिक खजाना भी है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी साबित हो सकता है.
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