Raksha Bandhan 2024 : रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का पर्व सावन माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रक्षाबंधन बनाने का चलन किस प्रकार शुरू हुआ? दरअसल, इस त्योहार को मनाने के पीछे एक नहीं बल्कि कई पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं, जिसका वर्णन अगल-अगल ग्रंथों में मिलता है। Raksha Bandhan 2024
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रक्षाबंधन को लेकर जो सबसे प्रचलित कथा है, वह मुगल काल से जुड़ी हुई है। जिसके अनुसार, चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने अपने राज्य की रक्षा के लिए सम्राट हुमायुं को राखी के साथ एक पत्र भेजकर रक्षा का अनुरोध किया था। लेकिन हम आपको रक्षाबंधन से जुड़ी अन्य पौराणिक कथाएं बताने जा रहे हैं।
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लक्ष्मी जी ने राजा बलि के सामने रखी ये मांग (Why Raksha Bandhan is Celebrated)
स्कंद पुराण, पद्म पुराण और श्रीमद्भागवत पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, राजा बलि ने भगवान विष्णु के परम भक्त थे। एक बार भगवान विष्णु ने राजा बलि भक्त की परीक्षा लेने हेतु ने वामन अवतार धारण किया। इस रूप में भगवान राजा बलि के द्वार पर भिक्षा मांगने पहुंचे और उन्होंने तीन पग भूमि दान में मांगी। राजा ने ब्राह्मण की इस मांग को स्वीकार कर लिया। वामन भगवान ने एक पग में पूरी भूमि और दूसरे पग ने पूरा आकाश नाप दिया। फिर तीसरा पग रखने की बारी आई तो राजा बलि ने अपना सिर आगे कर कहा कि आप अपना तीसरा पग मेरे सिर पर रख लीजिए।
राजा की यह दानवीरता देख भगवान प्रसन्न हुए और राजा बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया। तब राजा बलि ने यह वरदान मांगा कि आप मेरे साथ पाताल लोक में रहें। लेकिन इस वचन के कारण माता लक्ष्मी परेशान हो उठीं। तब माता लक्ष्मी ने एक गरीब महिला का रूप धारण किया और राजा बलि के पास पहुंचकर उन्हें राखी बांधी। जब राजा बलि ने राखी के बदले में कुछ मांगने को कहा, तो माता लक्ष्मी में अपने असली रूप में आकर राजा बलि से कहा कि वह भगवान विष्णु को वचन मुक्त कर दें, ताकि वह वापिस अपने धाम लौट सकें। राखी का मान रखते हुए राजा ने भगवान विष्णु जी को वचन से मुक्त कर दिया।
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इंद्र को पत्नी ने बांधा रक्षा सूत्र
भविष्य पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, जब देव और असुरों के बीच युद्ध हुआ, तो यह कई दिनों तक चलता रहा। असुर, देवताओं पर भारी पड़ने लगे। तब राजा इन्द्र घबराकर ऋषि बृहस्पति के पास पहुचे। इसपर बृहस्पति देव ने सुझाव दिया की इन्द्र को अपनी पत्नी इंद्राणी (शची) से मंत्रों की शक्ति द्वारा पवित्र एक रेशम का एक धागा बंधवाना चाहिए। इस रक्षासूत्र के चलते इंद्र की युद्ध में जीत हुई।
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द्रौपदी ने श्रीकृष्ण को बांधा चीर
महाभारत में वर्णित कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण ने राजा शिशुपाल का सुदर्शन चक्र से वध कर दिया, तो इस दौरान उनकी उंगली से खून बहने लगा। तब द्रौपदी ने अपने साड़ी से एक चीर फाड़कर भगवान श्रीकृष्ण उंगली में बांध दी। इस चीर के बदले में श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को हर संकट से बचाने का वचन दिया। आग चलकर अपने वचन का मान रखते भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी के चीरहरण के समय उनकी रक्षा की।
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