Ram Mandir Inauguration : प्रभु श्रीराम को विरजमान करने के लिए लगातार विधि-विधान से पूजा की जा रही है। आज (शनिवार) रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा (AYODHYA RAM MANDIR PRAN PRATISHTHA) समारोह का पांचवा दिन है। इस विधि-विधान के लिए आज का दिन बहुत विशिष्ट (खास) है। आज से प्रभु के अस्थायी गर्भगृह में दर्शन नहीं होंगे। Ram Mandir Inauguration
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अब अस्थायी गर्भगृह में भगवान रामलला का दर्शन नहीं होगा। 23 जनवरी से फिर से भव्य दिव्य राममंदिर में दर्शन आरंभ होगा, लेकिन रामलला को वैकल्पिक गर्भगृह से नवनिर्मित राममंदिर के गर्भगृह में स्थानांतरित किया जाएगा। इसके लिए स्वर्ण मंडित आधार तैयार किया गया है।
आज रामलला 20 जनवरी को वास्तु शांति के बाद सिंहासन पर विराजेंगे। इससे पहले सुबह शर्कराधिवास, फलाधिवास और शाम को पुष्पाधिवास में विराजेंगे। पाकिस्तान से हिंगलाज शक्तिपीठ का जल अयोध्या पहुंचेगा।
मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास बोले –
मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा, जब निर्णय हो जाता है कि इस मूर्ति को स्थापित किया जाना है तो उसके नेत्र ढंक दिए जाते हैं। उसके बाद स्थापित कर दिया जाता है। ये काम वहीं (गर्भगृह) में होता है। अभी तस्वीरों में जिस मूर्ति की आंख खुली दिखाई गई है, वो मूर्ति है ही नहीं। उसका वैसा स्वरूप है ही नहीं। अगर किसी ने आंख से कपड़ा हटा दिया है तो इसकी जांच होनी चाहिए। प्राण प्रतिष्ठा के पहले प्रतिमा का सबकुछ (स्नान, शृंगार, भोग) हो सकता है, लेकिन आंखों से कपड़ा नहीं हटा सकते। अभी भी (प्राण प्रतिष्ठा के पहले तक) जो भी कर्मकांड चल रहे हैं, उसमें भी प्रतिमा की आंखें ढंकी रहेंगी। प्रतिमा में आंखों को छोड़कर शरीर से कपड़ा हटाया जा सकता है, क्योंकि कई अनुष्ठान (जैसे जलाधिवास, केसराधिवास) होते हैं, लेकिन आंखें नहीं दिखाई जा सकतीं।
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अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान शुरू
आज दो और यजमान बढ़ेंगे
शनिवार को विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार व काशी के उद्यमी सूर्यकांत जालान भी प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में यजमान की भूमिका में रहेंगे। एक अन्य यजमान विहिप के अध्यक्ष डा. आरएन सिंह भी शुक्रवार शाम को अयोध्या पहुंच गए।AYODHYA RAM MANDIR PRAN PRATISHTHA
आज होंगे ये अनुष्ठान
शनिवार को अनुष्ठान का क्रम भगवान गणेश व माता अंबिका के पूजन से आगे बढ़ेगा। हवन- वेद पारायण आदि होगा। प्रात: काल शर्कराधिवास, फलाधिवास होगा। इसके उपरांत 81 कलशों के औषधीय जल से सर्पण का संस्कार होगा। विग्रह को जल अर्पित किया जाना सर्पण संस्कार है। पिंडिकाधिवास, पुष्पाधिवास और सायंकाल आरती के साथ पांचवें दिन अनुष्ठान पूर्ण होगा।
भगवान मेक शिफ्ट स्ट्रक्चर पर थे
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पहले ही यह घोषणा की थी कि रामलला विराजमान को गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया जाएगा। रामलला विराजमान का विग्रह वही है, जो 22-23 दिसंबर 1949 की मध्यरात्रि जन्मभूमि पर प्रकट हुआ था। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने से पहले जन्मभूमि पर भगवान मेक शिफ्ट स्ट्रक्चर में थे।
कोर्ट के आदेश के बाद हुए थे स्थानांतरित
कोर्ट का निर्णय आने के बाद राममंदिर निर्माण के लिए 25 मार्च 2020 को भगवान को अस्थायी गर्भगृह में स्थानांतरित किया गया था। तब से भगवान वहीं श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे थे। शुक्रवार को 17 हजार 224 लोगों ने भगवान का दर्शन किया।
चौथे दिन प्रकट हुए अग्निदेव
अयोध्या रामलला की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा (PRAN PRATISHTHA) अनुष्ठान चौथे दिन यज्ञ हवन के लिए बने मंडप में अग्नि प्रकट करने की प्राचीन विधि और अद्भुत नवग्रह यज्ञ का साक्षी बना। शुक्रवार को निर्धारित मुहूर्त पर सुबह नौ बजे वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अरणि मंथन विधि से अग्निदेव को प्रकट कर अनुष्ठान की शुरुआत की गई। इस विधि में शमी व पीपल की लकड़ी के घर्षण से अग्नि को प्रकट किया जाता है।
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मंदिर के गर्भगृह में विराजित रामलला का विग्रह मन मोह लेने वाला है। 4.24 फीट लंबी व तीन फीट चौड़ी तथा दो सौ किलोग्राम भार की श्यामवर्णी प्रतिमा के शीर्ष भाग में स्वास्तिक, ऊं, चक्र, गदा उत्कीर्ण है। अरुण योगीराज की बनाई इस प्रतिमा के दाईं ओर दशावतार में भगवान मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन व बाईं ओर परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध व कल्कि भगवान हैं। प्रतिमा के बाईं ओर नीचे के भाग में कमल व हनुमानजी की प्रतिमाएं उत्कीर्ण है।
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