Ramayana: वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण (Ramayana) में भी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जीवन की पूरी जानकारी है। भगवान श्रीराम का अवतरण त्रेता युग में हुआ था। भगवान श्रीराम के समकालीन दशानन रावण थे। दशानन रावण को अपनी शक्ति पर बेहद अहंकार था। Ramayana
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रावण ने तीनों लोकों पर अपना प्रभुत्व बनाने के लिए माता सीता का हरण किया था। इस गलती के चलते न केवल रावण का अहंकार टूटा, बल्कि लंका का भी सर्वनाश हो गया।
लेकिन क्या आपको पता है कि लंका में एक ऐसा शख्स भी था, जो तत्कालीन समय में सबसे बड़ा धनुर्धर था? अगर वह युद्ध समय तक जीवित रहता, तो परिणाम आने में और समय लग सकता था? आसान शब्दों में कहें तो भगवान राम और उनकी वानर सेना को कई अन्य परीक्षाओं से भी गुजरना पड़ता। आइए, लंका के सबसे बड़े धनुर्धर के बारे में जानते हैं-
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यह शख्स था लंका का सबसे धनुर्धर?
वाल्मीकि जी द्वारा रचित रामायण में वर्णन है कि सीता हरण के बाद रावण ने मैया जानकी को अशोक वाटिका में रखा था। इस वाटिका की रखवाली रावण के छोटे पुत्र अक्षय कुमार को दी गई थी। कहा जाता है कि राम भक्त हनुमान जी माता सीता का पता लगाने लंका पहुंचे। लंका पहुँचने के बाद हनुमान जी को पता चला कि माता सीता अशोक वाटिका में हैं। हनुमान जी तत्काल से अशोक वाटिका पहुंचे और माता सीता का कुशल मंगल जाना।
इसके बाद भूख मिटाने के लिए हनुमान जी अशोक वाटिका में फल खाने लगे। इसी समय असुरों ने हनुमान जी पर आक्रमण कर दिया। हनुमान जी ने बचाव में अशोक वाटिका में खूब उत्पात मचाया। यह जान दशानन रावण ने अक्षय कुमार को हनुमान जी को बंदी बनाने के लिए भेजा। हालांकि, अक्षय कुमार और रावण को यह ज्ञात नहीं था कि अशोक वाटिका में उत्पात मचाने वाला वानर कोई साधारण कपि नहीं है, बल्कि भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार हैं। हनुमान जी ने अक्षय कुमार को युद्ध में मार गिराया। कहते हैं कि युद्ध के समय अक्षय कुमार की आयु महज 16 वर्ष थी।
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शास्त्रों में निहित है कि अक्षय कुमार तत्कालीन समय में लंका का सबसे बड़ा धनुर्धर था। इसके चलते दशानन रावण ने हनुमान जी को बंदी बनाने के लिए अक्षय कुमार को भेजा था। हालांकि, हनुमान जी की शक्ति से अक्षय कुमार परिचित नहीं था। इसके लिए दशानन रावण की आज्ञा को नकार नहीं सका। ऐसा भी कहा जाता है कि शक्ति को जानकर ही हनुमान जी ने अशोक वाटिका में दशानन रावण के छोटे पुत्र का वध कर दिया था।
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