हिंदी पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह की शुरूआत 25 जून को हुई थी और समाप्ति 24 जुलाई को गुरू पूर्णिमा के दिन होगी। हिंदू धर्म में आषाढ़ माह का भी विशेष महत्व है। इस माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयानी एकादशी के नाम से जानते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु, सभी देवी-देवताओं के साथ पाताल लोक में शयन के लिए चले जाते हैं, अतः आने वाले चार मास कोई भी शुभ कार्य नहीं होता। इसे ही चतुर्मास या चौमासा कहते हैं। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष का पूजा-पाठ की दृष्टि से विशेष महत्व है, ये 11 जुलाई से शुरू हो रहा है। इस दिन साल का पहला रविपुष्य योग बन रहा है।
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आइये जानते हैं आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की तिथि और रविपुष्य योग के मुहूर्त के बारे में..
कब शुरू हो रहा है शुक्ल पक्ष और रविपुष्य योग
हिंदी पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की शुरूआत 11 जुलाई, दिन रविवार को हो रही है। इस बार अषाढ़ मास की अमावस्या तिथि दो दिन पड़ने पड़ रही है, इसलिए शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 11 जुलाई को मानी जा रही है। इस दिन रविवार होने के साथ पुष्य नक्षत्र का भी संयोग बन रहा है, जिसे ज्योतिष में रविपुष्य योग के नाम से जाना जाता है। रविपुष्य योग को बहुत ही शुभ माना जाता है। इस साल का ये पहला रविपुष्य योग है। इस काल में कोई भी नया कार्य शुरू करना, वाहन या जमीन खरीदना लाभदायक होता है। रविपुष्य योग 11 जुलाई को सूर्योदय से प्रारंभ होकर 2 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।
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महत्व
सनातन धर्म में आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष का विशेष महत्व है। सबसे अधिक महत्व इस माह में पड़ने वाली देवशयनी एकादशी के कारण होता है क्योंकि इस दिन से ही चतुर्मास प्रांरभ होता है। इसके अलावा इस पक्ष में ही भगवान जगन्नाथ की पवित्र रथयात्र निकाली जाती है तथा मां दुर्गा के गुप्त नवरात्रि की पूजा भी शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक होती है। इसके अतिरिक्त इस माह में पड़ने वाली सभी महत्वपूर्ण तिथियों पर व्रत,पूजन और दान कई गुना फल प्रदान करने वाले होते हैं।