#RBI ने रेपो रेट में की कटौती , सस्ती…
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पहला बड़ा तोहफा दिया है. दरअसल, आरबीआई की ओर से एक बार फिर रेपो रेट में कटौती की गई है. आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा बैठक में 0.25 फीसदी की कटौती हुई है. इसी के साथ अब नई रेपो रेट 5.75% हो गई है. नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक थी.
लगातार तीसरी बार कटौती
आरबीआई की पिछली दो बैठकों में भी एमपीसी रेपो रेट में क्रमश: 0.25 फीसदी की कटौती कर चुकी है. यानी जून में लगातार तीसरी बार केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट घटाई है. वहीं रिजर्व बैंक के इतिहास में पहली बार है जब आरबीआई गवर्नर की नियुक्ति के बाद लगातार तीसरी बार रेपो रेट में कमी आई है. बता दें कि बीते दिसंबर महीने में उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद शक्तिकांत दास बतौर गवर्नर नियुक्त हुए थे.
आप पर असर
आरबीआई के रेपो रेट कटौती का फायदा आपको मिलेगा. दरअसल, आरबीआई के इस फैसले के बाद बैंकों पर ब्याज दर कम करने का दबाव बनेगा. ब्याज दर कम होने की स्थिति में उन लोगों को फायदा मिलेगा जिनकी होम या ऑटो लोन की ईएमआई चल रही है.इसके अलावा बैंक से नए लोन लेने की स्थिति में भी पहले के मुकाबले ज्यादा राहत मिलेगी.
जीडीपी का अनुमान घटाया
- इस बीच, रिजर्व बैंक ने जीडीपी का अनुमान घटा दिया है.
- रिजर्व बैंक के मुताबिक जीडीपी ग्रोथ रेट 7 फीसदी रहने का अनुमान है. इससे पहले आरबीआई ने जीडीपी ग्रोथ को 7.2 फीसदी का अनुमान लगाया था.
- वहीं केंद्रीय बैंक ने 2019-20 की पहली छमाही में महंगाई दर 3 से 3.1 फीसदी तक रहने का अनुमान जताया है.
- वहीं साल की दूसरी छमाही में यह आंकड़ा 3.4%-3.7% तक रह सकता है.
ट्रांजेक्शन करने वालों को तोहफा
इसके अलावा ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करने वालों को भी आरबीआई की बैठक से खुशखबरी मिली है. दरअसल, रिजर्व बैंक ने RTGS और NEFT लेनदेन पर लगाए गए शुल्क को हटा दिया है. इसका मतलब यह हुआ कि अब RTGS और NEFT के जरिए ट्रांजेक्शन करने वाले लोगों को किसी भी तरह का एक्स्ट्रा चार्ज नहीं देना होगा.
क्या है NEFT और RTGS
- रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) सिस्टम के तहत मनी ट्रांसफर का काम तुरंत होता है.
- आरटीजीएस का उपयोग मुख्यत: बड़ी राशि को ट्रांसफर करने के लिए होता है. इसके तहत न्यूनतम 2 लाख रुपये भेजे जा सकते हैं और अधिकतम राशि भेजने की कोई सीमा नहीं है.
- अलग-अलग बैंकों का आरटीजीएस चार्ज अमाउंट के हिसाब से अलग-अलग होता है.
- वहीं नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) में ट्रांसफर के लिए न्यूनतम और अधिकतम पैसे की सीमा नहीं है. यह चार्ज भी अमाउंट के हिसाब से बढ़ता जाता है.