पिछले साल की अपेक्षा डिजिटल ट्रंजेक्शन में 51 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है
पिछले कुछ सालों से भारत में तेज गति से डिजिटल पेमेंट और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन बढ़ रहा है। इसके साथ ही ऑनलाइन धोखाधड़ी से अपनी गाढ़ी कमाई के रुपये खोने वाले लोगों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को लोकसभा में बताया था कि साल 2018-19 में देश में पिछले साल की अपेक्षा डिजिटल ट्रंजेक्शन में 51 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
फिशिंग
यह ‘निगेरिन प्रिंस’ के ईमेल स्केम के बाद चर्चा में आया था। इसमें धोखाधड़ी करने वाला आपको एक ई-मेल भेजता है। आपको यह मेल पैसों के लालच के साथ विदेश से प्राप्त होता है। इस व्यक्ति को विदेश से पैसा भजने में समस्या होती है और यह मदद के लिए आपको चुनता है। उस व्यक्ति के लिए आपको सिर्फ इतना करना होता है कि आपको उसे अपनी बैंक डिटेल देनी होती है और एक छोटा एडवांस पेमेंट करना होता है। एक बार जब बैंक डिटेल उस व्यक्ति के पास चली जाती है, तो वह आपके बैंक खाते को खाली कर देता है।
विशिंग
- ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड का जो सबसे प्रचलित तरीका है, उसमें धोखाधड़ी करने वाला पहले आपको कॉल करता है।
- इसमें धोखाधड़ी करने वाले के पास पहले से ही आपकी कुछ जानकारी होती है और वह आपसे फोन पर आपकी निजी बैंकिंग जानकारी पूछता है।
- यहां आप अपनी निजी जानकारी धोखेबाज को देने के साथ ही अपने पैसों से हाथ धो बैठते हैं।
कार्ड स्किमिंग
- इसमें एक छोटी इलेक्ट्रॉनिक मशीन होती है जिसे स्किमर कहते हैं
- । स्किमर को पीओएस मशीन या किसी एटीएम में लगा दिया जाता है।
- जब आप उस एटीएम और पीओएस में अपने कार्ड का यूज करते हैं, तो स्किमर आपके कार्ड की जानकारी को कॉपी कर लेता है, जो कि बाद में आपके खाते से पैसा चुराने में यूज ली जाती है।
- इस तरह का फ्रॉड ज्यादातर मैग्नेटिक स्ट्रिप कार्ड्स के साथ होता है।
नकली बैंक ऐप्स
- ये ऐसे एंड्रॉयड ऐप होते हैं जिन पर आपके बैंक का लोगो लगा होता है।
- साथ ही इसमें असली बैंक ऐप की तरह ही सारे आइकन्स होते हैं।
- इसमें धोखाधड़ी करने वाले के लिए ग्राहक की जानकारी को चुराना बहुत आसान हो जाता है और वह फिर ग्राहक के खाते को खाली कर देता है।
- ऐसे में कोई भी अनजान लेनदेन होने पर आपको तुरंत अपने बैंक को बताना चाहिए। आपको कभी भी अपनी लेनदेन की जानकारी किसी तीसरी पार्टी से शेयर नहीं करनी चाहिए।
क्या करें ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड होने पर
- अगर आपके साथ ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड हो जाता है, तो आपको कानूनी कार्रवाई का सहारा लेना चाहिए।
- आप अपने बैंक में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
- बहुत से बैंकों में इस तरह के मामलों के लिए अलग से कर्मचारी होते हैं। इस संबंध में जानकारी और कर्मचारी की कॉन्टेक्ट डिटेल्स आपको बैंक की वेबसाइट पर भी मिल सकती है।
- साथ ही हर एटीएम मशीन पर हेल्प डेस्क के फोन नंबर भी लिखे होते हैं। आपके साथ जब भी फ्रॉड हो, तो आपको तुरंत फोन के माध्यम से बैंक को बताना चाहिए।
लोकपाल में करें अपील
शिकायत के बाद अगर आप अपने बैंक द्वारा की गई कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है, तो आप रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा बैंकिंग लोकपाल योजना 2006 के तहत स्थापित बैंकिंग लोकपाल में भी अपील कर सकते हैं। प्रत्येक बैंक को अपनी ब्रांच में बैंकिंग लोकपाल से संबंधित जानकारी डिस्प्ले करना जरूरी होता है।
करें एफआईआर
आप अपने नजदीकी साइबर क्राइम सेल या पुलिस स्टेशन में भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। जब आप पुलिस स्टेशन में ऑनलाइन बैंक फ्रॉड की शिकायत दर्ज कराने जाएंगे, तो वहां आपसे एफआईर दर्ज करने के लिए कहा जाएगा। आप ग्रह मंत्रालय के ऑनलाइन क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर भी अपनी ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
कर सकते हैं शिकायत
आपको उपभोक्ता मंच में भी केस फाइल करने का अधिकार है। उपभोक्ता मंज जिला स्तर, राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर होता है। आप इन इन दो फेक्टर्स के आधार पर अपना केस दर्ज करा सकते हैं।
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जितना पैसा आपने खोया है
जिला स्तर के उपभोक्ता मंच में 20 लाख तक तक के मामलों की सुनवाई होती है। राज्य स्तर के उपभोक्ता मंच पर 20 लाख से 1 करोड़ तक के मामलों की सुनावाई होती है और 1 करोड़ से अधिक के मामलों की सुनवाई राष्ट्रीय स्तर के उपभोक्ता मंच में होती है।
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आपने कहां खोया है पैसा
आपको उस जगह अपनी शिकायत दर्ज करानी होगी जहां आपने अपना पैसा खोया है या फिर उस जगह जहां दूसरी पार्टी (बैंक आदि) अपना बिजनेस करती हैं।
आपको तब ही उपभोक्ता मंच में जाना चाहिए, जब आपको लगे कि बैंक आपकी शिकायत को नजरअंदाज कर रहा है या आपको उचित सलाह नहीं दे रहा है। सामान्य जागरुकता के लिए, आपको रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी गाइडलाइन और चेतावनियों पर भी ध्यान देना चाहिए।