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SAWAN : 22 जुलाई से पवित्र महीना सावन आरंभ होने जा रहा है। पहला दिन सोमवार के दिन सावन का महीना रहेगा। सावन का महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है। मान्यता है जो भी भक्त पूरी श्रद्धा भाव से सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना करता है उसकी सभी तरह की मनोकामना सावन के महीने में भोले शंकर जरूर पूरी करते हैं। SAWAN
साल 2024 का सावन का महीना बहुत ही खास रहने वाला है। सावन के महीने का प्रारंभ सोमवार से हो रहा है और अंत भी सोमवार के दिन होगा। इस बार कुल पांच सावन सोमवार का दिन रहेगा। जो बहुत ही शुभ माना जाता है।
भोले शंकर जल्द प्रसन्न होने वाले देव हैं। शास्त्रों में सोमवार का दिन भगवान शिव की आराधना के लिए होता है। सोमवार के दिन व्रत रखने से भोले शंकर अपने भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं।
इस बार पांच सावन सोमवार के अलावा कई दिन शुभ योग भी बनेगा। जिसमें 11 सर्वार्थ सिद्धि योग, 10 सिद्धि योग, 12 अमृत योग और 3 अमृत सिद्धि योग होंगे।
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पौराणिक कथा
मान्यता के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन चल रहा था तब समुद्र से विष का घड़ा निकला। लेकिन इस विष के घड़े को न ही देवता और न ही असुर लेने को तैयार हो रहे थे। तब विष के प्रभाव को खत्म करने के लिए और समस्त लोकों की रक्षा करते हुए भगवान शंकर ने इस विष का पान किया था। विष के प्रभाव से भगवान शिव का ताप बढ़ता जा रहा था तब सभी देवताओं ने विष के प्रभाव को कम करने के लिए भगवान शंकर पर जल चढ़ाना शुरू कर दिया था। तभी से सावन के महीने में भगवान शिव का जलाभिषेक करने की परंपरा चली आ रही है।
सावन की शिवरात्रि
सावन के महीने में शिवरात्रि आने पर इसका विशेष महत्व होता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर शिवरात्रि मनाई जाती है। लेकिन फाल्गुन और सावन के महीने की शिवरात्रि विशेष फलदायी मानी जाती है।
बरतें सावधानियां
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शास्त्रों और पुराणों में सावन के महीने में शिव आराधना पर कई तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए।
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सावन के महीने में व्रत रखने वाल साधकों का दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। सावन में दूध से भोले शंकर का अभिषेक किया जाता है, इसलिए इसका सेवन वर्जित होता है।
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सावन के महीने में शिव भक्तों को कभी बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। बैंगन को अशुद्ध माना गया है।सावन के महीने और आम दिनों में भगवान शिव की पूजा करते समय पूजा के सामान में कभी तुलसी के पत्तों और केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
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शिवलिंग पर न ही हल्दी और कुमकुम लगाना चाहिए। इसके अलावा शिवलिंग पर नारियल का पानी भी नहीं चढ़ाना चाहिए।
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जलाभिषेक करते समय कांस्य और पीतल के बर्तनों का प्रयोग करना चाहिए।
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