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Sawan : श्रावण मास शिव परिवार की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है। सोमवार के दिन देवों के देव महादेव, मंगलवार को माता पार्वती के मंगला गौरी स्वरूप और बुधवार को उनके छोटे पुत्र भगवान गणेश की पूजा का विधान है। श्रावण मास भगवान शिव का प्रिय मास है, इसलिए इस मास के बुधवार को भगवान गणेश की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है। विधि विधान से पूजा करने पर भगवान गणपति भक्तों के कष्टों को हर कर उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
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भक्तों के कष्टों को हर कर उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं
गणपति पूजन
सच्चे मन से भगवान गणेश की प्रतिमा को दूर्वा, अक्षत्, धूप, जल, पुष्प आदि अर्पित करें।
दो चीजों का लगाएं भोग
उनको भोग में गुड़ और धनिया का भोग लगाएं। भगवान गणपति को मोदक प्रिय है, इसलिए आप उनको मोदक भी अर्पित करें। इसके पश्चात गणपति की आरती करें और प्रसाद का वितरण कर दें।
दान करें ये वस्तुएं
पूजा के पश्चात आप अपने समार्थ्य के अनुसार, तांबे के बर्तन और मूंग की दाल गरीबों को दान कर सकते हैं।
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बुधवार को गणेश जी की पूजा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती की कृपा से जब बाल गणेश की उत्पत्ति हुई थी, तब उस समय भगवान शिव के धाम कैलाश में बुध देव उपस्थित थे। बुध देव की उपस्थिति के कारण श्रीगणेश जी की आराधना के लिए वह प्रतिनिधि वार हुए यानी बुधवार के दिन गणेश जी पूजा का विधान बन गया।
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