Sawan : सावन का महीना देवों के देव महादेव को अति प्रिय है। धार्मिक मान्यता है कि सावन (sawan) महीने में भगवान शिव की पूजा-उपासना करने से विवाहितों को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। Sawan
SAWAN : सावन में शिवलिंग पर चढ़ाएं पंचामृत, जानें विधि
अविवाहित जातकों की शीघ्र शादी हो जाती है। ज्योतिष शीघ्र विवाह हेतु सोलह सोमवार का व्रत करने की सलाह देते हैं। अतः साधक सावन के महीने में श्रद्धा भाव से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। अगर आप भी भगवान शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो सावन के महीने में महादेव का अभिषेक करते समय रोजाना शिव लिंगाष्टकम् का पाठ करें। आइए, शिव लिंगाष्टकम् का पाठ करें-
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शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय करें लिंगाष्टकम् का पाठ, पूरी होगी मनोकामना
शिव लिंगाष्टकम
ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गम् निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।
जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥
देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गम् कामदहम् करुणाकरलिङ्गम् ।
रावणदर्पविनाशनलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥
सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गम् बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् ।
सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥
कनकमहामणिभूषितलिङ्गम् फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम ।
दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥
कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गम् पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् ।
सञ्चितपापविनाशनलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥
देवगणार्चितसेवितलिङ्गम् भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् ।
दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥
अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गम् सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् ।
अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥
सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गम् सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम् ।
परात्परं परमात्मकलिङ्गम् तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥
लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ।।
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लिङ्ग स्तुति
पयोनाधि थीर निवास लिङ्गं, बालार्क कोटि प्रथिमं त्रिनेथ्रं ।
पद्मस्नेरचिथ दिव्य लिङ्गं, वन्धामहे मार्ग सहाय लिङ्गं ॥
गङ्गा थारङ्गोल्लस दुग्दमङ्गं, गजेन्द्र चर्मंबर भूषिथाङ्गं ।
ग़ोव्रि मुखंभोज विलोल बृङ्गं, वन्धामहे मार्ग सहाय लिङ्गं ॥
सुकन्कानि भूथ महा भुजङ्गं, संज्ञान संपूर्ण निजन्थरङ्गं ।
सुर्येण्डु बिम्बनल भूषिथाङ्गं, वन्धामहे मार्ग सहाय लिङ्गं ॥
भक्था प्रियं भव विलोल बृङ्गं, भक्थानुकूला अमल भूषिथाङ्गं ।
भाविक लोकन्थरं अधि लिङ्गं, वन्धामहे मार्ग सहाय लिङ्गं ॥
सामप्रियं सोउम्य महेस लिङ्गं, समप्रधं सोउम्य कदक्ष लिङ्गं ।
वामङ्ग सोउन्दर्य विलोलिथाङ्गं, वन्धामहे मार्ग सहाय लिङ्गं ॥
पञ्चाक्षरी भूथ सहस्र लिङ्गं, पञ्चमृथ स्नान परयनाङ्गं ।
पञ्चमृथं भोज विलोल बृङ्गं, वन्धामहे मार्ग सहाय लिङ्गं ॥
वन्दे सुररधिथ पद पद्मं, श्री श्यमवल्ली रमणं महेसं ।
वन्दे महा मेरु सारसानां शिवं, वन्धामहे मार्ग सहाय लिङ्गं ॥
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