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SAWAN : भगवान शिव की आराधना का पवित्र माह सावन sawan ka mahina शुरू हो गया है। 30 दिनों तक भगवान शिव और माता पार्वती के साथ उनके परिवार की भी पूजा होगी। समस्त मंगलकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान शिव और माता पार्वती से बढ़कर इस संसार में कोई नहीं है। देवों के देव महादेव सावन मास sawan ka mahina में पूजा के दौरान भक्तों से जल पाकर ही प्रसन्न हो जाते हैं। SAWAN
आप सबने अक्सर देखा और सुना होगा कि भगवान शिव की आरती के बाद कर्पूरगौरं मंत्र का उच्चारण किया जाता है। लगभग सभी देवी-देवताओं की आरती के बाद इस मंत्र को पंडित जी बोलते हैं। आखिर ऐसा क्यों है? इस मंत्र का अर्थ क्या है?
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सावन मास में पूजा के दौरान भक्तों से जल पाकर ही प्रसन्न हो जाते हैं
आइए जानते हैं इसके बारे में…
कर्पूरगौरं मंत्र
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।
मंत्र का अर्थ:
कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले, करुणा के अवतार, संसार के सार, सर्प का हार धारण करने वाले, वे भगवान शिव शंकर माता भवानी के साथ मेरे हृदय में सदा निवास करें। उनको मेरा प्रणाम है।
आरती के बाद इस मंत्र के बोलने के पीछे की वजह भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह से जुड़ी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु ने महादेव और माता पार्वती के विवाह के समय कर्पूरगौरं मंत्र को स्वयं बोला था, जिसमें भगवान शिव के विकराल और दिव्य स्वरूप का सार समाहित है।
आप सावन sawan में या फिर कभी भी जब भगवान शिव की आरती करें तो आखिर में कर्पूरगौरं मंत्र का उच्चारण करें। ऐसी मान्यता है कि पूजा के दौरान कोई कमी रह गई हो, तो उसकी पूर्ति के लिए आरती की जाती है। आरती करने से पूजा की कमी दूर हो जाती है।
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