श्रद्धापूर्वक और विधि-विधान से की जाए तो भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं
#Sawan : श्रावण मास (Sawan) में भोलेनाथ की अराधना की जाती है। बम बम भोले के जयकारों से सावन (sawan 2020) का पूरा मास गूंजता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसी दौरान प्रथम पूज्य श्री गणेश जी (Ganesh ji )की पू्जा-अर्चना का भी विधान है। शिव जी के छोटे पुत्र भगवान गणेश जी की पूजा अगर सावन के दौरान बुधवार को श्रद्धापूर्वक और विधि-विधान से की जाए तो भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
आइए जानतें हैं कि गणपत्ति बप्पा की पूजा कैसे की जाती है…
श्री गणेश (ganesh ji ) की पूजा में इन चीजों की होती है आवश्यकता
गणपति जी को बुधवार के दिन पुष्प, अक्षत्, जल, धूप, दूर्वा अर्पित करना बेहद शुभ माना जाता है।
साथ ही उन्हें लड्डू और मोदक बेहद प्रिय हैं ऐसे में इन्हें ये प्रसाद चढ़ाना बिल्कुल न भूलें।
साथ ही गुड़ और धनिए का भोग भी लगाया जाता है।
इसके बाद गणेश जी की आरती करें।
फिर सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें।
अपने सामर्थ के अनुसार, गरीबों को तांबे के बर्तन और मूंग की दाल दान कर सकते हैं। कहा जाता है कि इस दिन हरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए, यह शुभ होता है।
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जानें बुधवार क्यों होती है गणेश जी की पूजा
पौराणिक मान्यताओं पर गौर किया जाए तो जब माता पार्वती की कृपा से गणेश जी का उत्पत्ति हुई थी तब कैलाश में बुध देव भी उपस्थित थे जो कि भगवान शिव का धाम है। बुध देव के कैलाश में होने से ही गणेश जी की पूजा के लिए बुधवार को चुना गया। इस दिन को सौम्यवार भी कहा जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन कोई भी शुभ काम किया जा सकता है।
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