Advertisements
Sharad Purnima : हिंदू धर्म के आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा होती है। Sharad Purnima पर अमृतमयी चांद अपनी किरणों से स्वास्थ्य का वरदान देता है। Sharad Purnima 2024
यह सभी पूर्णिमा की रातों में से सबसे अहम रातों में से एक है। इसी से ही शरद ऋतु का आगमन होता है। इसे कौमुदी उत्सव, कुमार उत्सव, शरदोत्सव, रास पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा एवं कमला पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
खीर के लाभ
इस दिन खीर का विशेष महत्व होता है। खीर को चांद की रोशनी में रखा जाता है। माना जाता है कि चंद्रमा की रोशनी में रखी हुई खीर खाने से उसका प्रभाव सकारात्मक होता है। यह खीर रोगियों को दी जाती है। कहा जाता है कि इस खीर से शरीर में पित्त का प्रकोप और मलेरिया का खतरा कम हो जाता है। अगर यह खीर किसी ऐसे व्यक्ति को खिलाई जाए जिसकी आंखों की रोशनी कम हो गई है तो उसकी आंखों की रोशनी में काफी सुधार आता है। हृदय संबंधी बीमारी और अस्थमा रोगियों के लिए भी यह खीर काफी लाभदायक है। इससे चर्म रोग जैसी समस्याओं में भी सुधार आता है।
पूजा की विधि
-
इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए। साथ ही किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें। हालांकि, कोरोना के चलते नदी पर स्नान करना इस समय संभव नहीं है। ऐसे में घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर नहाना चाहिए।
-
फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। इस पर मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
-
मां लक्ष्मी को लाल फूल, नैवद्य, इत्र जैसी चीजें चुढ़ाएं। फिर मां को वस्त्र, आभूषण, और अन्य श्रंगार पहनाएं।
-
मां लक्ष्मी का आह्वान करें। फिर फूल, धूप (अगरबत्ती), दीप (दीपक), नैवेद्य, सुपारी, दक्षिणा आदि मां को अर्पित करें।
-
इसके बाद लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। मां लक्ष्मी की आरती भी गाएं।
-
फिर पूजा धूप और दीप (दीपक) से मां की आरती करें। फिर मां को खीर चढ़ाएं।
-
इस दिन अपने सामार्थ्यनुसार किसी ब्राह्मण को दान करें।
-
खीर को गाय के दूध से ही बनाएं। मध्यरात्रि को मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं।
-
इसे प्रसाद के तौर पर भी वितरित करें। पूजा के दौरान कथा जरूर सुनें।
-
एक कलश में पानी रखें और एक गिलास में गेहूं भरकर रखें। फिर एक पत्ते का दोना लें। इसमें रोली और चावल रखें।
-
फिर कलश की पूजा करें और दक्षिणा अर्पित करें। मां लक्ष्मी के साथ भगवान शिव, देवी पार्वती और भगवान कार्तिकेय की भी पूजा करें।
मंत्र
मां लक्ष्मी को मनाने का मंत्र: ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
कुबेर को मनाने का मंत्र: ऊं यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये धन धान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा।।
सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करने का मंत्र: पुत्रपौत्रं धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवेरथम् प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु में।
व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक साहूकार था जिसकी दो बेटियां थीं। साहूकार की दोनों बेटियां पूर्णिमा का व्रत करती थीं। जहां एक तरफ बड़ी बेटी ने विधिवत् व्रत को पूरा किया। वहीं, छोटी बेटी ने व्रत को अधूरा छोड़ दिया। इसका प्रभाव यह हुआ कि छोटी लड़की के बच्चों का जन्म होते ही उनकी मृत्यु हो गई। फिर एक बार बड़ी बेटी ने अपनी बहन के बच्चे को स्पर्श किया वो स्पर्श इतना पुण्य था कि उससे बालक जीवित हो गया। बस उसी दिन से यह व्रत विधिपूर्वक किया जने लगा।
हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें।
Loading...