Shardiya Navratri Day 3: धार्मिक मत है कि शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन श्रद्धा भाव से मां चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) की उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होती हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। अगर आप भी मां चंद्रघंटा की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो विधि पूर्वक मां की पूजा-उपासना करें। साथ ही पूजा के समय व्रत कथा का पाठ अवश्य करें। आइए, व्रत कथा पढ़ें-
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व्रत कथा (Shardiya Navratri )
चिरकाल में महिषासुर नामक असुर का आतंक बढ़ गया था। उसके आतंक से तीनों लोक में हाहाकार मच गया था। भगवान द्वारा प्रदत अतुल बल से महिषासुर बहुत शक्तिशाली बन गया था। वह शक्ति का दुरुपयोग कर स्वर्ग पर अपना आधिपत्य जमाना चाह रहा था। इस प्रयास में वह लगभग सफल भी हो गया था। उस समय स्वर्ग के देवता भयभीत हो उठे। स्वयं स्वर्ग इंद्र नरेश भी चिंतित हो उठे। महिषासुर स्वर्ग का सिहांसन पाना चाहता था। Durga Puja 2024
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उस समय सभी देवता ब्रह्मा जी के पास गए और उनसे सहायता मांगी। ब्रह्मा जी बोले- वर्तमान समय में तो महिषासुर को परास्त करना आसान नहीं है। इसके लिए हम सभी को महादेव के शरण में जाना पड़ेगा। उस समय सभी देवता सबसे पहले जगत के पालनहार भगवान विष्णु के पास गए और उनसे सहमति लेकर सभी महादेव के पास कैलाश पहुंचे। स्वर्ग नरेश इंद्र ने आपबीती महादेव को सुनाई। स्वर्ग नरेश इंद्र की बात सुन महादेव क्रोधित होकर बोले-महिषासुर अपने बल का गलत तरीके से प्रयोग कर रहा है। इसके लिए उसे अवश्य दंड मिलेगा। Shardiya Navratri
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उस समय भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी भी क्रोधित हो उठे और उनके क्रोध से एक तेज प्रकट हुई। यह तेज यानी ऊर्जा उनके मुख से प्रकट हुई। इसी ऊर्जा से एक देवी प्रकट हुईं। उस समय भगवान शिव ने देवी मां को अपना त्रिशूल दिया। भगवान विष्णु ने अपना सुदर्शन चक्र दिया। स्वर्ग नरेश इंद्र ने घंटा प्रदान किया। इस प्रकार सभी देवताओं ने देवी मां को अपने अस्त्र-शस्त्र दिए।
तब मां चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) ने त्रिदेव से अनुमति लेकर महिषासुर को युद्ध के लिए ललकारा। शास्त्रों में निहित है कि कालांतर में मां चंद्रघंटा और महिषासुर के मध्य भीषण युद्ध हुआ। इस युद्ध में मां के प्रहार के सामने महिषासुर टिक न सका। उस समय महिषासुर का वध कर मां ने तीनों लोकों की रक्षा की। तीनों लोकों में मां के जयकारे गूंजने लगे। कालांतर से मां चंद्रघंटा की पूजा-उपासना की जाती है। मां अपने भक्तों के सभी दुख हर लेती हैं। साथ ही सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करती हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की उपासना करते हैं।
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