Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री (Maa Shailputri) को समर्पित होता हैं. Shardiya Navratri 2024
नवरात्रि, दशहरा और दीवाली तक अक्टूबर में पड़ रहे हैं ये व्रत-त्योहार
कैसे हुई शारदीय नवरात्र की शुरुआत? कथा
जानें, कैसे होगा मां दुर्गा का आगमन
मां शैलपुत्री (Maa Shailputri) हिमालय राज की पुत्री हैं इसलिए उनका नाम शैलपुत्री हैं. शैल मतलब पहाड़ या पत्थर होता है. क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना क्यों की जाती है और उनसे जुड़ी हुई कथा क्या है? यहां जानिए मां शैलपुत्री की कथा के बारे में.
जाने, कैसे हुई शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन जौ बोए जाने की शुरुआत
भगवान श्रीहरि ने राजा हरिश्चंद्र को दी सत्यवादी की उपाधि
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हिमालयराज के यहां जब पुत्री का जन्म हुआ तो उनका नाम शैलपुत्री रखा गया. इनका वाहन वृषभ है, इसलिए इन्हें वृषारूढा के नाम से भी पुकारा जाता है. मां शैलपुत्री के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल होता हैं. उन्हें सती के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वो सती मां का ही दूसरा रूप हैं.
अक्टूबर में इन तिथियों पर न करें ये शुभ कार्य, वरना..
31 अक्टूबर या 01 नवंबर, कब है दिवाली?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार प्रजापति ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रण मिला लेकिन भगवान शिव को नहीं बुलाया गया. तब भगवान शिव (Lord Shiva) ने मां सती से कहा कि यज्ञ में सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया है लेकिन मुझे नहीं, ऐसे में मेरा वहां पर जाना सही नहीं है. माता सती का प्रबल आग्रह देखकर भगवान शंकर ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी. सती जब घर पहुंची तो उन्हें केवल अपनी मां से ही स्नेह मिला. उनकी बहनें व्यंग्य और उपहास करने लगीं जिसमें भगवान शंकर के प्रति तिरस्कार का भाव था. दक्ष ने भी उन्हें अपमानजनक शब्द कहे जिससे मां सती बहुत क्रोधित हो गईं. अपने पति का अपमान वह सहन नहीं कर पाईं और योगाग्नि में जलकर खुद को भस्म कर लिया. इस दुख से व्यथित होकर भगवान शंकर ने यज्ञ का विध्वंस कर दिया.
जानें, स्वयंभू मनु और शतरूपा को कैसे मिला दशरथ और कौशल्या का जन्म?
इस साल कब है दशहरा? रावण दहन का शुभ मुहूर्त
मां सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय के यहां पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं. इन्हें पार्वती और हेमवती के नाम से भी जाना जाता है. मां शैलपुत्री का विवाह भगवान शंकर के साथ हुआ और वो भगवान शिव की अर्धांगिनी बनीं इसलिए नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है और उन्हें घी का भोग लगाया जाता है.
अक्टूबर महीने में कब है आश्विन अमावस्या?
जानिए, दिवाली पर मां लक्ष्मी के साथ क्यों होती है भगवान गणेश की पूजा
कब है अष्टमी और महानवमी, जान लें घट स्थापना शुभ मुहूर्त