Shiv Nandi : सनातन धर्म में भगवान शिव सबसे बड़ा देवता है। वैसे तो सप्ताह के सभी दिन भगवान की पूजा करने का नियम है, लेकिन सोमवार को भगवान की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही जीवन के कष्टों से छुटकारा पाने के लिए व्रत भी करते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से इच्छित वर मिलता है। साथ ही लोग भगवान शिव के मंदिर में दर्शन करने आते हैं। Shiv Nandi
जानें, भगवान जगन्नाथ के रथ में होते हैं इतने पहिए
इस दिन से होगी चातुर्मास की शुरुआत, क्यों नहीं होते मांगलिक कार्य
ये है मान्यता
भगवान शिव के मंदिर में नंदी विराजमान होते हैं। क्योंकि नंदी भगवान शिव के परम भक्त हैं। शिव मंदिर में नंदी के कान में अपनी मनचाही मनोकामना पूरी करने के लिए बोलते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके पीछे एक मान्यता है कि भगवान शिव तपस्वी हैं। वह सदैव समाधि में रहते हैं। भगवान महादेव की तपस्या में कोई बाधा न आने के लिए नंदी जी प्रभु को मनोकामना पहुंचाते का कार्य करते हैं। ऐसे में उनकी समाधि और तपस्या में कोई विघ्न न आए। इसलिए नंदी ही हमारी मनोकामना शिवजी तक पहुंचाते हैं। इसलिए लोग मंदिर में जाकर अपनी मनोकामना कहते हैं। बता दें कि भगवान शिव का द्वारपाल नंदी को कहा जाता है। भगवान महादेव के दर्शन करने से पहले नंदी के दर्शन होते हैं।
आषाढ़ माह में ऐसे दें भगवान सूर्य को अर्घ्य, पितृ होंगे प्रसन्न
जानिए, कब से शुरू है जगन्नाथ रथ यात्रा?
इन 16 कलाओं से परिपूर्ण हैं भगवान श्रीकृष्ण
ऐसे बनें शिव की सवारी नंदी
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में शिलाद नाम के ऋषि थे। उन्होंने अपने जीवन में भगवान शिव की अधिक तपस्या कर नंदी को पुत्र रूप में प्राप्त किया। उन्हें वेद-पुराण का ज्ञान था। एक बार ऋषि के आश्रम में दो संत आए। भगवान शिव के आदेश पर संतों को अधिक सेवा की। इसके बाद संतों ने ऋषि को दीर्घ आयु का वरदान दिया। लेकिन नंदी के लिए एक शब्द भी नहीं बोला।
संतों ने इसका कारण पूछा, तो उन्होंने कहा कि नंदी की आयु कम है। उनके बारे में पिता ऋषि शिलाद बेहद चिंतित हुए। तब नंदी ने उन्हें समझाया कि पिता जी आपने मुझे भगवान महादेव की कृपा से प्राप्त किया है, तो वो ही मेरे जीवन की रक्षा करेंगे। इसके पश्चात शिव जी के लिए नंदी ने अधिक तप किया। इससे महादेव प्रसन्न हुए और उन्होंने अपना वाहन बना लिया।
भगवान शंकर की तरफ क्यों होता है नंदी का मुख?
नंदी जी (Shiv Nandi) का मुख भगवान शिव की तरफ होता है। उनकी यह मुद्रा महादेव के प्रति अटूट ध्यान और भक्ति का प्रतीक है। उनका ध्यान सिर्फ उनके आराध्य पर केंद्रित रहता है।
जाने, जुलाई में कब है योगिनी एकादशी
नंदी को इसलिए चुना अपना वाहन
शिव जी ने कहा कि मेरी सभी ताकतें नंदी के पास मौजूद हैं। मां पार्वती और नंदी की सुरक्षा मेरे साथ है। सनातन धर्म में बैल को बेहद भोला माना गया है, लेकिन काम अधिक करता है। भगवान शिव ने कर्मठ और जटिल होने की वजह से नंदी को बैल के रूप में अपना वाहन बनाया।
कब है सावन महीने की पहली एकादशी?
जानें, क्यों काल भैरव को कहा जाता है बाबा की नगरी का कोतवाल?
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। JAIHINDTIMES यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है।