Shiva Linga Sthapana in Mithila: राजा जनक त्रेता युग के समकालीन थे। इनके पिता का नाम ह्रस्वरोमन था और माता का नाम कैकसी था। तत्कालीन समय में जनक एक उपाधि थी, जो विदेह के नरेश ने मान-सम्मान और गरिमा को बढ़ाने के लिए अपनाई थी। Shiva Linga Sthapana in Mithila
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राजा जनक परम प्रतापी एवं दयालु थे। उनकी चर्चा न केवल मिथिला, बल्कि अन्य प्रदेशों में थी। लेकिन क्या आपको पता है कि राजा जनक भी दशानन रावण की तरह भगवान शिव के परम भक्त थे? भगवान शिव की पूजा करने एवं जगत की देवी मां शक्ति को पुत्री रूप में प्राप्त करने के लिए राजा जनक ने अपने राज्य में कई शिवलिंग स्थापित किये थे। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
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कथा
सनातन शास्त्रों में निहित है कि एक बार मिथिला लोक में अकाल पड़ा था। उस समय राज्य के पंडितों ने उन्हें यज्ञ कर इंद्र देव को प्रसन्न करने की सलाह दी। तब राजा जनक ने अपने राज्य यानी मिथिला में महायज्ञ किया। इस यज्ञ के समय राजा जनक ने शिवलिंग स्थापित (Shiva Lingas) की। इसके पश्चात, भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की। इसी स्थान पर भगवान शिव और मां पार्वती ने यज्ञ पूर्ण होने और मां सीता की पुत्री रूप में प्राप्त करने का वरदान दिया था। इस यज्ञ के दौरान राजा जनक ने हल चलाना शुरू किया। उस समय मां सीता की उत्पत्ति हुई। माता सीता की उत्पत्ति के साथ ही आसमान से तेज बारिश होने लगी। इससे अकाल की समस्या दूर होगी। तत्कालीन समय में राजा जनक ने चारों दिशाओं में शिवलिंग स्थापित की। इसके अलावा, एक हलेश्वर और दूसरा कपिलेश्वर में भी शवलिंग स्थापित की। कुल मिलाकर राजा जनक ने मिथिला में 6 शिवलिंग स्थापित की।
मिथिला में स्थापित शिवलिंग
कल्याणेश्वर महादेव मंदिर
जालेश्वर महादेव मंदिर
क्षीरेश्वर नाथ महादेव मंदिर
सप्तेश्वर नाथ महादेव मंदिर
हलेश्वर नाथ महादेव मंदिर
कपिलेश्वर नाथ महादेव मंदिर
सनातन शास्त्रों में निहित है कि राजा जनक भगवान शिव के परम भक्त थे। उनकी पूजा एवं तपस्या करते थे। भगवान शिव की तपस्या करने के लिए राजा जनक ने मिथिला यानी जनकपुर के चारों कोनों में शिवलिंग स्थापित की। इनमें हलेश्वर नाथ सीतामढ़ी में है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। JAIHINDTIMES यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है।