इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है, जिसके फल स्वरूप पुत्र की प्राप्ति होती है
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष श्रावण पुत्रदा एकादशी 11 अगस्त दिन रविवार को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है, जिसके फल स्वरूप पुत्र की प्राप्ति होती है। इस व्रत में कुछ लोग भगवान श्रीकृष्ण की भी पूजा करते हैं। यदि आपका पुत्र है तो उसके दीर्घायु और कल्याण के लिए माता-पिता यह व्रत करते हैं। इस व्रत को करने से भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों ही प्रसन्न होते हैं।
पूजा विधि
प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद भगवान विष्णु या बाल गोपाल की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं। उनको चंदन से तिलक करके वस्त्र धारण कराएं। फिर पुष्प अर्पित करें। धूप-दीप आदि से आरती करें।
आरती के बाद फल, नारियल, बेर, आंवला, लौंग, पान और सुपारी भगवान श्री हरि को अर्पित करें। इस दिन पति-पत्नी को व्रत रहना चाहिए। शाम को पुत्रदा एकादशी व्रत कथा सुनें और फलाहार करें।
इन बातों का रखें ध्यान
- पुत्रदा एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को व्रत से एक दिन पहले रात्रि को सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।
- संयम के साथ ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- व्रत वाले दिन स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना चहिए और संभव हो तो निर्जला व्रत रखें।
- शाम को पूजा के बाद फलाहार कर सकते हैं।
- पुत्र प्राप्ति के लिए द्वादशी के दिन दान-दक्षिणा जरूर करें।
- व्रत के समय वैष्णव धर्म का पालन करें। प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा, पान, सुपारी का सेवन न करें। मूली और मसूर की दाल भी वर्जित है।