SAWAN : Maha Shivratri का पावन पर्व आ रहा है। इस दिन अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आपको भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। SAWAN
SAWAN : भगवान शिव को प्रिय है त्रिपुंड, जानिये सावन में इसे…
शिव पुराण के अनुसार,
एक समय श्रीकृष्ण पुत्र प्राप्ति की कामना से हिमवान् पर्वत पर महर्षि उपमन्यु से मिलने गए थे। तब उन्होंने श्रीकृष्ण को भगवान शिव (shiv) की अतुलित महिमा का वर्णन किया। तब श्रीकृष्ण ने उनसे पूछा कि आप उनको भगवान सदाशिव की कृपा प्राप्ति का उपाय बताएं।
तब महर्षि उपमन्यु ने श्रीकृष्ण को ओम नम: शिवाय मंत्र का जप करने को कहा। उन्होंने कहा कि आप 16वें महीने में भगवान सदाशिव और माता पार्वती से उत्तम वरदान प्राप्त करेंगे। महर्षि उपमन्यु ने लगातार 8 दिनों तक श्रीकृष्ण को भगवान सदाशिव के महिमा को बताया। 9वें दिन उन्होंने श्रीकृष्ण को दीक्षा प्रदान की। फिर उनको शिव अथर्वशीर्ष का महामंत्र बताया।
इस बार MAHASHIVRATRI पर बन रहा कल्याणकारी शिवयोग, जानें…
इसके बाद श्रीकृष्ण ने शीघ्र ही एकाग्र होकर पैर के एक अंगुठे पर खड़े होकर तप करने लगे। तप के 16वें माह में भगवान सदाशिव और माता पार्वती प्रकट हुए, दोनों ने श्रीकृष्ण को दर्शन दिया। फिर श्रीकृष्ण ने विधि विधान से उनकी पूजा और स्तुति की। श्रीकृष्ण की पूजा से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने कहा कि वासुदेव, तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी। तुमको साम्ब नामक पुत्र होगा। वह महान पराक्रमी और बलशाली होगा। ऋषियों के श्राप के कारण सूर्य मनुष्य योनि में उत्पन्न होंगे और वे ही तुम्हारे पुत्र होंगे। इसके अतिरिक्त जो भी मनोरथ है, वो सब पूर्ण होगा।
इसके बाद माता पार्वती ने भी श्रीकृष्ण से वर मांगने को कहा। तब श्रीकृष्ण ने कहा कि वे चाहते हैं कि कभी भी उनके मन में दूसरों के प्रति द्वेष न हो। वे सदा द्विजों का पूजन करें, उनके माता पिता संतुष्ट रहें, सबके हृदय में उनके लिए अनुकूल भाव रहे। वे श्रद्धापूर्वक लोगों को अपने घर पर भोजन कराते रहें। सभी से प्रेम रहे और वे संतुष्ट रहें।
माता पार्वती ने कहा कि वासुदेव, ऐसा ही होगा। फिर सदाशिव और पार्वती जी वहां से अंतर्धान हो गए। फिर श्रीकृष्ण जी ने सारी घटन महर्षि उपमन्यु को बताई और द्वारिका चले गए।