Stampede in Hathras : हाथरस में सत्संग में हुई भगदड़ को लेकर एक महत्वपूर्ण खुलासा हुआ है। भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि का दावा है कि उनके पास एक खास तरह का पानी है जिसे पीने और उनके चरणों की धूल लगाने से सभी बीमारियां दूर हो जाती हैं। यही कारण था कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तराखंड और कई अन्य राज्यों से लोग उनके सत्संग में पहुंचे थे। Stampede in Hathras
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हाथरस में भी अपने भक्तों से प्रवचन देते हुए बाबा ने कहा कि मेरे चरणों की रज लेकर जाना। मत्थे पर धूल लगाने से हर बीमारी और समस्या दूर हो जाएगी। इसके बाद पंडाल में भगदड़ मच गई और लाशों का ढेर लग गया।
इस भगदड़ में आधिकारिक डेटा के अनुसार 121 लोगों की मौत हो गई और लगभग 150 लोग घायल हो गए हैं. हाथरस में हुए इस हादसे ने एक बड़ा सवाल ये खड़ा कर दिया है इस तरह के अंधविश्वास को बिना किसी डर के क्यों फैलाया जा रहा है. हमारे देश में इसे लेकर कोई कानून है भी या नहीं .
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क्या है अंधश्रद्धा कानून
अंधश्रद्धा कानून (Anti-Superstition Laws) को महाराष्ट्र में साल 2013 में लागू किया गया था, यह एक ऐसा कानून है जो अंधविश्वास और गलत धारणाओं पर आधारित अमानवीय और खतरनाक प्रथाओं को रोकने के लिए बनाया गया है.
अपराध ग़ैर-जमानती और संज्ञेय
इस कानून में कुल 12 क्लॉज़ हैं, जो अलग-अलग अपराधों को आइडेंटिफाई करते हैं. इसी कानून में एक क्लॉज खुद को ईश्वर के समकक्ष मानने वाले और उनके पास अलौकिक शक्तियां होने का दावा करने वालों को भी दंड का प्रावधान है. इसमें कम से कम छह महीने और ज़्यादा से ज़्यादा 7 सालों तक की जेल का प्रावधान है. जुर्माने का भी प्रावधान है, 5 हज़ार लेकर 50 हज़ार तक. ये अपराध ग़ैर-जमानती और संज्ञेय है.
महाराष्ट्र के अलावा भी अलग अलग राज्यों में अलग अलग कानून हैं जिसमें अंधविश्वास फैलाने को अपराध माना गया है. उदाहरण के तौर पर बिहार को ही ले लीजिये बिहार पहला राज्य है जिसने जादू-टोना रोकने, एक महिला को डायन बताकर उसपर अत्याचार करने, उनका अपमान और महिलाओं की हत्या को रोकने को लेकर द प्रिवेंशन ऑफ विच (डायन) प्रैक्टिस एक्ट 1999, कानून बनाया था.
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अंधश्रद्धा कानून क्या-क्या रोकता है
इस कानून के तहत किसी भी इंसान की बलि देना या उसे किसी धार्मिक या अंधविश्वासी कारण से मारना अपराध के दायरे में आता है. इसके अलावा किसी पर जादू-टोने या तंत्र-मंत्र का इस्तेमाल करना, जिससे सामने वाले के जान को खतरा हो या उसे नुकसान हो और किसी को अंधविश्वास के आधार पर धोखा देना या उसका शोषण करना भी अपराध के दायरे में आता है.
शिकायत कैसे करें?
अगर किसी व्यक्ति को लगता है कि वह इस तरह के अंधविश्वास का शिकार हो रहा है, तो ऐसी स्थिति में उन्हें तुरंत पुलिस में शिकायत करनी चाहिये सकते हैं. पुलिस को इस मामले में तुरंत कार्रवाई करनी होती है.
कर्नाटक में भी साल 2017 में अंधविश्वास विरोधी कानून को प्रभाव में लाने का काम किया गया, जिसे अमानवीय प्रथाओं और काला जादू रोकथाम एवं उन्मूलन अधिनियम के रूप में जाना जाता है. यह अधिनियम धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ी “अमानवीय” प्रथाओं का व्यापक रूप से विरोध करता है.
कर्नाटक, बिहार और महाराष्ट्र के अलावा छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, राजस्थान, असम में भी डायन-शिकार निवारण विधेयक कानून हैं.
अंधविश्वास से होने वाली मौतों के बारे में भी जान लीजिये
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 6 लोगों की मृत्यु का कारण मानव बलि और 68 लोगों की मृत्यु का कारण जादू-टोना बताया गया है.
जादू टोना के सबसे ज्यादा मामले छत्तीसगढ़ (20), मध्य प्रदेश (18) और तेलंगाना (11) में दर्ज किये गए. इतना ही नहीं एनसीआरबी की रिपोर्ट ये भी कहती है कि साल 2020 में भारत में जादू टोना के कारण 88 मौतें और ‘मानव बलि’ के कारण 11 लोगों की मौतें हुई है.
मल्लिकार्जुन खरगे ने उठाया सवाल
उच्च सदन में कांग्रेस अध्यक्ष और राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ठीक ऐसा ही सवाल 4 जुलाई को उठाया. उन्होंने भीड़ भाड़ वाले कार्यक्रमों में लोगों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने की मांग की है. .
उन्होंने सदन में कहा कि हाथरस के सत्संग में जैसा हादसा हुआ, ऐसे कार्यक्रमों में लोगों की सुरक्षा के लिए कोई कानून नहीं है. केंद्र को इन लोगों की सुरक्षा के लिए कानून बनाना चाहिए. खरगे आगे कहते हैं कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी है कि भारत में कर्नाटक और महाराष्ट्र की तरह ही अंधश्रद्धा के खिलाफ कानून बनाए जाएं, ताकि पैसों के लिए लोगों को लूटने वाले नकली लोगों पर पाबंदी लगाई जा सके.
धार्मिक कार्यक्रमों में भगदड़ का लंबा इतिहास
भारत में धार्मिक कार्यक्रमों में भगदड़ का लंबा इतिहास रहा है. साल में ही आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में गोदावरी महा पुष्करम नाम का त्योहार मनाने हजारों की संख्या में लोग जुटे थे. इस दौरान गोदावरी नदी के तट पर भगदड़ मचने के बाद 27 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद साल 2013 के अक्टूबर महीने में मध्य प्रदेश के दतिया जिले के रतनगढ़ मंदिर में नवरात्रि के दौरान भगदड़ मचने पर 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. उस वक्त ये अफवाह फैला दी गई थी कि जिस पुल से भक्त गुजर रहे हैं, वो टूटने वाला है.
इसके अलावा साल 2008 में राजस्थान के जोधपुर शहर के चामुंडा देवी मंदिर में बम विस्फोट की अफवाह के बाद मची भगदड़ में 250 से ज्यादा भक्तों की मौत हो गई थी.