जिद्दी #बच्चे को यूं करेंगे ट्रीट तो हमेशा रहेगा कंट्रोल
उम्र बढ़ने के साथ #बच्चों का स्वभाव भी बदलने लगता है। टीनएजर्स धीरे-धीरे जिद्दी और अड़ियल स्वभाव के हो जाते हैं जिस वजह से उन्हें कोई भी बात समझाना मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में बड़ों से सीधे मुंह बात न करना, किसी से बातचीत में असभ्य भाषा का इस्तेमाल करना, बच्चे की यहीं आदतें आपकी परवरिश पर सवाल उठाने लगती है। अगर आपको भी इसी बात की चिंता है तो आज हम आपको जिद्दी बच्चों से निपटने से कुछ टिप्स बताएंगे जो आपके बच्चों को हमेशा अनुशासन में रहना सिखाएंगे।
घर ही बच्चों का पहला स्कूल
दो-ढाई साल की उम्र में बच्चे घर के सदस्यों से सबकुछ सिखते हैं। इसलिए अपने बच्चे में अच्छी आदतें डालने के लिए पेरेंट्स को उनकी इसी उम्र में सचेत हो जाना चाहिए। अपने बच्चों के सामने अपना व्यवहार सहीं रखें जैसे बड़ों को सम्मान दें तो छोटों के साथ प्यार से बात करें। आपको ऐसा करते देख बच्चे भी यहीं सीखेंगे।
बच्चों को सिखाएं विनम्रता का पाठ
बच्चों को केवल परिवार के साथ ही नहीं बल्कि आसपास के लोगों के साथ विनम्र व्यवहार अपनाना चाहिए। बच्चे को समझाएं कि उन सभी के साथ प्यार से पेश आना चाहिए जो हमारी मदद करते हैं। इसी के सात उनमें एक आदत ऐसी भी डालें कि वह ऐसे लोगों के लिए अंकल-आंटी या भैया-दीदी जैसे सम्मान सूचक शब्दों का इस्तेमाल करें। इससे उन्हें सामाजिक व्यवहार सीखने में मदद मिलेगी।
प्ले ग्राउंड में भी रखें अनुशासन
अगर आप अपने बच्चों के साथ रोजाना किसी पार्क यानी सार्वजनिक स्थल पर जा रहे है तो वहां भी बच्चों के अनुशासन का पूरा ख्याल रखें। उन्हें दूसरे बच्चों के साथ मिलकर खेलने की शिक्षा दें और मारपीट या गलत हरकतें न करने जैसी बातें समझाएं। इससे बच्चों में इम्पैथी यानी दूसरों की तकलीफ समझने की भावना विकसित होगी और दूसरा खेल-खेल में बच्चे अनुशासन के नियम भी सीख जाएंगे।
सिखाएं एंगर मैनेजमेंट
बच्चे में छोटी-छोटी बातों पर रूठना या जिद्द करने की आदत होती है लेकिन पेरेंट्स को उनकी इस आदत पर ओवर रिएक्ट करने के बजाए धीरे-धीरे उन्हें समझाना चाहिए। उन्हें प्यार से समझाएं कि तुम्हारी हर बात मानना न मुमकिन है। अगर बच्चा गुस्से में तोडफ़ोड़ या हिंसक व्यवहार करने लगे तो उसकी जिद्द को पूरा न करें बल्कि ऐसी स्थिति में उससे शांत रहने को कहें।
बड़ों का सम्मान करने की दें शिक्षा
बच्चों की शरारतें और प्यारी-प्यारी बातें तो सभी को अच्छी लगती है लेकिन कभी-कभी वह कई अपशब्दों का इस्तेमाल कर देते हैं। बच्चे की ऐसी हरकत को नादानी समझकर इग्नोर न करें क्योंकि इससे बच्चों को अपनी गलती का एहसास नहीं होगा। बच्चों की ऐसी हरकत करने पर उसे रोके न की हंसकर बात को टाल दें।