Supreme Court : SC/ST आरक्षण के भीतर अब कोटा मान्य होगा, ये फैसला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Reservation In Sub Categories) ने दिया है. Supreme Court
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सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ (cji justice chandrachud) की अगुवाई वाली 7 जजों की बेंच ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाते हुए ये साफ कर दिया कि राज्यों के भीतर नौकरियों में आरक्षण देने के लिए कोटा के भीतर कोटा दिया जा सकता है. 2004 के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला बहुत ही अहम है.
अदालत ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उपवर्गीकरण का आधार राज्य के सही आंकड़ों पर आधारित होना चाहिए.
इस मामले में राज्य अपनी मर्जी से काम नहीं कर सकते.
जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि जमीनी हकीकत से इनकार नहीं किया जा सकता,
एससी/एसटी के भीतर ऐसी श्रेणियां हैं, जिन्हें सदियों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है.
एससी/एसटी के सदस्य अक्सर प्रणालीगत भेदभाव की वजह से सीढ़ी पर चढ़ने में सक्षम नहीं होते हैं.
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अनुच्छेद 14 जाति के उप वर्गीकरण की अनुमति देता है.
अदालत को यह जांचना चाहिए कि क्या वर्ग समरूप है और किसी उद्देश्य के लिए एकीकृत नहीं किए गए वर्ग को आगे वर्गीकृत किया जा सकता है.
बीआर अंबेडकर के भाषण का हवाला
अदालत ने कहा, हालांकि आरक्षण के बावजूद निचले तबके के लोगों को अपना पेशा छोड़ने में कठिनाई होती है. जस्टिस बी आर गवई ने सामाजिक लोकतंत्र की आवश्यकता पर दिए गए बीआर अंबेडकर के भाषण का हवाला देते हुए कहा कि पिछड़े समुदायों को प्राथमिकता देना राज्य का कर्तव्य है, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के केवल कुछ लोग ही आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जमीनी हकीकत से इनकार नहीं किया जा सकता कि एससी/एसटी के भीतर ऐसी श्रेणियां हैं जिन्हें सदियों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है. उप-वर्गीकरण का आधार यह है कि एक बड़े समूह में से एक ग्रुप को अधिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है.
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2004 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2004 के फैसले में कहा था कि राज्यों के पास आरक्षण देने के लिए SC/ST की सब कैटेगरी करने का अधिकार हीं है. अदालत के सामने अब मुद्दा एक बार फिर से कोटे के भीतर कोटे का था. अब अदालत ने साफ कर दिया है कि कोटा के भीतर कोटा दिया जा सकता है.
आरक्षण के भीतर आरक्षण क्या है ?
अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण के लिए उप-वर्गीकरण को “कोटा के भीतर कोटा” कहा जाता है. यानी कि अगर एक समुदाय या श्रेणी के लोगों को आरक्षण दिया जा रहा है तो उसी श्रेणी का उप वर्गीकरण करके उनके बीच आरक्षित सीटों का बंटवारा करना. उदाहरण के तौर पर अगर अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षण 15 प्रतिशत तय है तो इस वर्ग में शामिल जातियों और उनके सामाजिक, आर्थिक पिछेड़ेपन के आधार पर अलग-अलग आरक्षण देना.