RAHUL PANDEY
सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने गुरुवार को मीडिया के एक सेक्शन में कम्युनल टोन में रिपोर्टिंग को लेकर कड़ी नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की रिपोर्ट्स से आखिरकार देश का नाम खराब होता है। कोर्ट ने पिछले साल दिल्ली में तबलीगी जमात की गैदरिंग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा कि सोशल मीडिया पर जजों के लिए भी बुरा-भला लिखा जाता है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तबलीगी मामले को लेकर यह भी कहा कि मीडिया के एक वर्ग में दिखाई जाने वाली खबरों में सांप्रदायिकता का रंग दिया गया था, जिससे देश की छवि खराब होती है। उच्चतम न्यायालय ने वेब पोर्टल, यू ट्यूब चैनल और सोशल मीडिया में चलने वाली फर्जी खबरों पर चिंता जताई है।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ फर्जी खबरों के प्रसारण पर रोक के लिए जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
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अदालत ने सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही फेक न्यूज को लेकर चिंता जताई। साथ ही वेब पोर्टल की जवाबदेही को लेकर भी टिप्पणी की। चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि वेब पोर्टल पर किसी का नियंत्रण नहीं है। हर खबर को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश हो रही है, जो कि एक बड़ी समस्या है। पीठ ने पूछा, ‘‘निजी समाचार चैनलों के एक वर्ग में दिखायी हर चीज साम्प्रदायिकता का रंग लिए है। आखिरकार इससे देश की छवि खराब हो रही है। क्या आपने (केन्द्र) इन निजी चैनलों के नियमन की कभी कोशिश भी की है।’’
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फर्जी खबरें आसानी से प्रसारित की जा रही हैं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया केवल ‘‘शक्तिशाली आवाजों’’ को सुनता है और न्यायाधीशों, संस्थानों के खिलाफ बिना किसी जवाबदेही के कई चीजें लिखी जाती हैं। उसने कहा, ‘‘ट्विटर, फेसबुक , वेब पोर्टल्स और यूट्यूब चैनलों पर फर्जी खबरों तथा छींटाकशीं पर कोई नियंत्रण नहीं है। अगर आप यूट्यूब देखेंगे तो पाएंगे कि कैसे फर्जी खबरें आसानी से प्रसारित की जा रही हैं ।’’
याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर किया जाए
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को जवाब दिया कि नए IT रूल्स सोशल और डिजिटल मीडिया को रेग्युलेट करने के लिए बनाए गए हैं और रेग्युलेट करने का प्रयास जारी है। उन्होंने कोर्ट से गुहार लगाई कि अलग-अलग हाईकोर्ट्स में IT रूल्स को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर किया जाए। विभिन्न हाईकोर्ट अलग-अलग आदेश पारित कर रहे हैं। ये मामला पूरे भारत का है, ऐसे में एक समग्र तस्वीर देखने की जरूरत है।
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उच्चतम न्यायालय सोशल मीडिया तथा वेब पोर्टल्स समेत ऑनलाइन सामग्री के नियमन के लिए हाल में लागू सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के मुद्दे पर विभिन्न उच्च न्यायालयों से याचिकाओं को स्थानांतरित करने की केंद्र की याचिका पर छह हफ्ते बाद सुनवाई करने के लिए राजी हो गया।