Supreme Court News : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 9 दिसंबर को केंद्र सरकार के मुफ्त राशन बांटने पर सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा- कब तक ऐसे मुफ्त राशन बांटा जाएगा। सरकार रोजगार के अवसर क्यों नहीं पैदा कर रही? Supreme Court News
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केंद्र ने अदालत को बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत 81 करोड़ लोगों को मुफ्त या रियायती राशन दिया जा रहा है। बेंच ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा, इसका मतलब है कि केवल करदाता ही इससे बाहर हैं।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की बेंच ई-श्रम पोर्टल के तहत पात्र पाए गए प्रवासी श्रमिकों और अकुशल मजदूरों को मुफ्त राशन कार्ड दिए जाने से संबंधित मामले पर सुनवाई कर रही थी।
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Controversial statement of Allahabad HC judge
जानिए पूरा मामला क्या है
यह पूरा मामला राशन कार्ड से जुड़ा है। एक NGO की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण की मांग है कि ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर्ड सभी प्रवासी श्रमिकों को मुफ्त राशन प्रदान करने के लिए निर्देश जारी किए जाएं।
इस मामले की अब तक जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ सुनवाई कर रही थी। बेंच ने 4 अक्टूबर को आदेश दिया कि “ऐसे सभी व्यक्ति जो पात्र हैं (एनएफएसए के अनुसार राशन कार्ड/खाद्यान्न के लिए पात्र) और संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा उनकी पहचान की गई है, उन्हें 19 नवंबर से पहले राशन कार्ड जारी किए जाने चाहिए।
26 नवंबर को केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल करते हुए कहा कि उनका दायित्व केवल राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की अनिवार्य व्यवस्था के तहत राशन कार्ड प्रदान करना है। इसलिए, वे कानून में प्रदान की गई ऊपरी सीमा का उल्लंघन करते हुए राशन कार्ड प्रदान नहीं कर सकते।
याचिकाकर्ता बोले- आंकड़े 2011 की जनगणना के आधार पर
9 दिसंबर की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील भूषण ने कहा कि यदि जनगणना 2021 में की गई होती, तो प्रवासी श्रमिकों की संख्या में वृद्धि होती, क्योंकि केंद्र वर्तमान में 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर निर्भर है।
पीठ ने कहा, हमें केंद्र और राज्यों के बीच विभाजन नहीं करना चाहिए, अन्यथा यह बहुत मुश्किल होगा। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, मुफ्त राशन की योजना कोविड के समय से है। उस समय इस अदालत ने प्रवासी श्रमिकों के सामने आने वाले संकट को देखते हुए; उन्हें राहत प्रदान करने के लिए कमोबेश दैनिक आधार पर यह आदेश पारित किए थे, लेकिन सरकार 2013 के अधिनियम से बंधी हुई है और वैधानिक योजना से आगे नहीं जा सकती। इस मामले पर अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी।
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