Supreme Court : भारत के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में पारंपरिक न्याय की देवी (Lady of Justice), जिसे आमतौर पर आंखों पर पट्टी बांधे, तराजू और तलवार के साथ चित्रित किया जाता है। Supreme Court
91 साल के टेस्ट इतिहास में पहली बार टीम इंडिया घर में शर्मसार
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड (CJI Chandrachud) के आदेश पर अदालतों में दिखने वाली ‘न्याय की देवी’ की मूर्ति में अहम बदलाव किए गए हैं. मूर्ति की आंखों पर पहले पट्टी बंधी रहती थी, लेकिन अब इसे खोल दिया गया है.
Scrollable
टिकट बुकिंग को लेकर रेलवे ने बदली व्यवस्था
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पुस्तकालय में स्थापित
यह बदलाव भारत में न्याय की आधुनिक समझ को दर्शाता है, जो न तो अंधी है और न ही दंडात्मक, बल्कि संवैधानिक मूल्यों और समानता में निहित है। यह नई प्रतिमा अब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पुस्तकालय में प्रमुख रूप से स्थापित है और औपनिवेशिक युग के प्रतीकवाद से एक प्रस्थान को चिह्नित करती है।
नायब सिंह ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ
मुख्य परिवर्तन
कोई पट्टी नहीं
पारंपरिक रूप से, न्याय की देवी को आंखों पर पट्टी बांधे दिखाया जाता था, जो कानून के समक्ष निष्पक्षता और समानता का प्रतीक था।
नई प्रतिमा में, न्याय की देवी की आंखें खुली हैं, जो दर्शाती हैं कि भारत में न्याय अंधा नहीं है, बल्कि जागरूक, सचेत और सहानुभूतिपूर्ण है।
तलवार की जगह संविधान
तलवार, जो शक्ति और दंड का पारंपरिक प्रतीक थी, को भारतीय संविधान से बदल दिया गया है। यह इस बात पर जोर देता है कि न्याय संविधान के सिद्धांतों के अनुसार दिया जाता है, न कि हिंसा या प्रतिशोध के माध्यम से।
तराजू, जो निष्पक्षता और संतुलन का प्रतीक है, नई प्रतिमा में बना हुआ है। यह न्यायपालिका की प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि निर्णय देने से पहले सभी पक्षों का न्यायसंगत तरीके से मूल्यांकन किया जाएगा।
अशोक, गोल्डी समेत कई मसाला कंपनियों ने वापस मंगवाए कीटनाशनक मसाले
FULL NEWS : ASHOK-गोल्डी समेत कई ब्रांडेड मसालों में मिला कीटनाशक
आटे में मरे व जिंदा कीड़े, रामदाने में चूहे के बाल मिले, डेढ़ करोड़ का माल सीज