राजनीति के अपराधीकरण को लेकर SC सख्त
राजनीति में आपराधिक छवि के लोगों की बढ़ती हिस्सेदारी पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चिंता व्यक्त की है. अदालत ने सभी राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे अपनी वेबसाइट पर सभी उम्मीदवारों की जानकारी साझा करें. इसमें उम्मीदवार पर दर्ज सभी आपराधिक केस, ट्रायल और उम्मीदवार के चयन का कारण भी बताना होगा.
एक क्रिमिनल को उम्मीदवार क्यों बनाया है
यानी राजनीतिक दलों को ये भी बताना होगा कि आखिर उन्होंने एक क्रिमिनल को उम्मीदवार क्यों बनाया है.अगर आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति को चुनावी टिकट देती है उसका कारण भी बताएंगी कि आखिर वो किसी बेदाग प्रत्याशी को टिकट क्यों नहीं दे पाई?
फेसबुक और ट्विटर हैंडल
साथ ही कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को उम्मीदवार के आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में तमाम जानकारी अपने आधिकारिक फेसबुक और ट्विटर हैंडल पर देनी होगी. वहीं, पार्टियों को इस बारे में एक स्थानीय और राष्ट्रीय अखबार में भी जानकारी देनी होगी.
72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को देनी होगी जानकारी
तीन बार इसके संबंध में अखबार और टीवी चैनलों पर देना होगा जानकारी
- बता दें, जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने इसे राष्ट्रहित का मामला बताते 31 जनवरी को याचिकाकर्ताओं और चुनाव आयोग की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
- पीठ ने कहा था कि इस समस्या को रोकने के लिए कुछ कदम उठाने होंगे.
- पीठ ने चुनाव आयोग और याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय को एक सप्ताह के भीतर के सामूहिक प्रस्ताव देने के निर्देश दिए थे. दरअसल पीठ वकील और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कहा गया था कि इस मामले में 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार और उनकी राजनीतिक पार्टियां आपराधिक केसों की जानकारी वेबसाइट पर जारी करेंगी और नामांकन दाखिल करने के बाद कम से कम तीन बार इसके संबंध में अखबार और टीवी चैनलों पर देना होगा लेकिन इस संबंध में कदम नहीं उठाया गया.